नई दिल्ली। भारत और ब्रिटेन के बीच दीर्घकालिक द्विपक्षीय वित्तीय मंच के गठन को लेकर सहमति बन गई है। भारत-ब्रिटेन के बीच 10वीं आर्थिक एवं वित्तीय वार्ता (ईएफडी) के दौरान बुनियादी ढांचा और सतत वित्त पर तीसरे सत्र के दौरान इस पर विचार-विमर्श किया गया। वित्त मंत्रालय ने ये जानकारी दी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वीडियों कांफ्रेंसिंग के जरिए बुधवार को इस बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि दीर्घकालिक वित्तीय प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए भारत की 1,400 अरब डॉलर की राष्ट्रीय संरचना पाइपलाइन और लंदन शहर मिलकर काम कर रहे हैं। वित्त मंत्रालय ने कई ट्वीट कर बताया कि इस भागीदारी से सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) परियोजनाओं के लिए परियोजना तैयारी समर्थन सुविधा एवं विशिष्टता केंद्र बनाने में मदद मिलेगी।
सीतारमण ने कहा कि 24 करोड़ पाउंड के कोष के साथ 2018 में ग्रीन ग्रोथ इक्विटी फंड (जीजीईएफ) शुरू किया गया था। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश पेट्रोलियम इसमें पहली निजी क्षेत्र की निवेशक है, जिसने 7 करोड़ डॉलर का निवेश किया है। वित्त मंत्री ने कहा कि भारत और ब्रिटेन के बीच अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन और आपदा बचाव संरचना गठबंधन (सीडीआरआई) के जरिए सहयोग बढ़ा है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी शुरुआत की थी। ब्रिटेन इसका सह-अध्यक्ष है। सीतारमण ने बताया कि ब्रिटेन के शोधन एवं नवोन्मेषण (यूकेआरआई) तथा भारतीय समाज विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएएसआर) ने चार संयुक्त शोध परियोजनाओं के लिए 26 लाख पाउंड की प्रतिबद्धता जताई है। (एजेंसी, हि.स.)
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