भोपाल। चुनाव में मतदाताओं के पैर छूकर उन्हें मत देने के लिए मनाना न केवल मूलमंत्र है, बल्कि आसान तरीका भी है, लेकिन जनसंपर्क के दौरान बार बार मतदाताओं के पैर छूना प्रत्याशियों के लिए भारी पड़ रहा है। क्योंकि रोजाना तीन से पांच सौ मतदाताओं के पैर छू रहे हैं। लगातार झुकने की वजह से प्रत्याशियों को कमर व पीठ में दर्द की शिकायत हो रही है। दवा व बाम आदि प्रचार में भी साथ रखनी पड़ी रही है। ग्वालियर विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी सुनील शर्मा तो बैक पैन के शिकार हो गए हैं। यही हालत उनके प्रतिद्वंदी प्रद्युम्न तोमर की भी है। साथ ही चंबल की अंबाह सीट पर भी प्रत्याशी मतदाताओं के पैर छू छूकर परेशान हैं। मजबूरी यह है कि यदि वे पैर नहीं छूते हैं तो मतदाता समझते हैं कि प्रत्याशी को अभी घमंड है तो चुनाव जीतने के बाद क्या होगा। मुरैना की दिमनी विधान सभा क्षेत्र से पांच बार विधायक रहे व मंत्री रहे मुंशीलाल के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने न के बराबर खर्च में चुनाव लड़े और जीते। उनके बारे में क्षेत्र के बुजुर्गों का कहना है कि वे पूरे क्षेत्र के बड़े लोगों के पैर छूकर ही जीत जाते थे। मुंशीलाल के बाद चुनाव जीतने की यह सस्ती, सुंदर और टिकाऊ तकनीकी सभी प्रत्याशियों ने अपना शुरू कर दी है। बेशक पैर छू छू कर उन्हें बैक पैन ही क्यों न होने लगे।
क्यों हो रहे हैं कमर दर्द के शिकार
चुनाव प्रचार अंतिम समय चल रहा है। ऐसे में प्रत्याशी बहुत कम आराम कर रहे हैं। लगातार दो से तीन घंटे तक चलते हैं और रास्ते में जो भी मिलता है उसके पैर छूते हैं। पैर छूने के लिए शरीर को बार बार झुकाने से बैक पैन होना शुरू हो जाता है। जेएएच अधीक्षक डॉ. आरकेएस धाकड़ की मानें तो अनियमित दिनचर्या, खानपान, बार-बार झुकने से कमर में दर्द हो सकता है। इसलिए प्रत्याशियों को लगातार झुकना नहीं चाहिए और पर्याप्त आराम भी कर लेना चाहिए। यदि किसी वजह से बार-बार झुक भी रहे हैं तो सतर्कता बरतनी चाहिए और बेल्ट आदि बांधकर रखना चाहिए।
क्यों हो जाता पैर छूना जरूरी
वर्तमान में अधिकतर प्रत्याशी सभी मतदाताओं के पैर छू रहे हैं। यदि जनसंपर्क के दौरान प्रत्याशी सभी के पैर न छुए, लेकिन उसे अपने से बड़े व्यक्ति के तो पैर छूने ही पड़ते हैं। क्योंकि पैर छूने से प्रत्याशी को तसल्ली हो जाती है कि संबंधित मतदाता का आशीर्वाद के साथ वोट भी मिल जाएगा।
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