मुंबई। फर्जी TRP केस में जांच के घेरे में आए तमाम चैनल मालिकों की नींद उड़ गई है। क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट (CIU) ने इस केस में अब तक दस लोगों को गिरफ्तार किया है। उनमें से उमेश मिश्रा नामक आरोपी मुंबई पुलिस का अप्रूवर बन गया है। अप्रूवर बनने का मतलब है कि उमेश मिश्रा को मुंबई पुलिस से क्षमादान मिल गया है, पर इसका दूसरा मतलब है बाकी आरोपियों की मुसीबतें बढ़ गई हैं। अप्रूवर बनने के बाद उमेश मिश्रा ने अपने वकील के जरिए कोर्ट में जमानत की अर्जी दी। इस केस की जांच कर रही CIU टीम ने इसका विरोध नहीं किया इसलिए मेट्रोपोलिटिन मैजिस्ट्रट ने उसे सोमवार को बेल दे भी दी।
अप्रूवर उसी को बनाया जाता है, जो किसी केस में अपना जुर्म कबूल कर ले। साथ ही उस जुर्म में जो अन्य लोग शामिल हैं, उनकी भूमिका का भंडाफोड़ कर दे। चूंकि यह फर्जी TRP से जुड़ा केस है, इसलिए स्वाभाविक है उमेश मिश्रा ने यह फर्जी TRP रैकेट कैसे चल रहा है, कब से चल रहा है, TRP को मैन्युप्लेट करने के लिए उसे किस-किस चैनल से रकम मिली, उसने किस-किस के जरिए बैरोमीटर लगे कितने घर मालिकों तक यह रकम पहुंचाई, क्राइम ब्रांच से उसने इसका पूरा भंडाफोड़ किया है।
एडवोकेट अजय उमापति दुबे ने बताया कि सोमवार को मेट्रोपोलिटन मैजिस्ट्रेट ने उमेश मिश्रा को जमानत दे दी। साथ ही इस केस में पिछले कुछ दिनों में गिरफ्तार रामजी शर्मा, दिनेश विश्वकर्मा और अभिषेक कोलवणे को 28 अक्टूबर तक CIU की कस्टडी में भेज दिया। 28 अक्टूबर को कोर्ट हरीश पाटील और विशाल भंडारी नामक आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई करेगी। जबकि कोर्ट ने बेामपेल्ली राव मिस्त्री, शिरीष पट्टनशेट्टी , नारायण शर्मा और विनय त्रिपाठी की जमानत याचिका खारिज कर दी।
अजय दुबे ने कोर्ट में हरीश पाटील नामक आरोपी की पैरवी की, जिसे शुक्रवार को गिरफ्तार किया गया था। दुबे ने बताया कि हमने कोर्ट में सबूत पेश किए कि हरीश ने एक चैनल को सर्विस प्रोवाइड की। इसके बदले में उसे रकम मिली। हरीश ने कोई अवैध काम नहीं किया। उसने किसी भी तरह किसी भी चैनल की टीआरपी मैन्युप्लेट नहीं की। लेकिन CIU ने हरीश पर अभिषेक कोलवणे नामक आरोपी को भगाने में मदद का भी आरोप लगाया है।
CIU का कहना है कि हरीश और अभिषेक दोस्त हैं। अभिषेक को पकड़ने के लिए CIU की टीमें महाराष्ट्र के अलग-अलग शहरों, कर्नाटक व गोवा भी गई हुई थीं। अभिषेक कोलवणे ने रविवार को क्राइम ब्रांच अधिकारियों के सामने सरेंडर कर दिया था। सोमवार को जिनकी जमानत याचिका खारिज हुई, उनमें शिरीष पट्टनशेट्टी फख्त मराठी और नारायण शर्मा बॉक्स सिनेमा चैनल के मालिक हैं। कोर्ट में CIU ने दावा किया कि शिरीष और नारायण ने बोमपेल्ली राव मिस्त्री नामक आरोपी को मोटी रकम दी थी, ताकि वह रकम उन ग्राहकों को दे, जिनके घर में बैरोमीटर लगे थे।
कई चैनलों के मालिक जांच के घेरे में
बोमपेल्ली ने इस केस में गिरफ्तार कुछ आरोपियों के जरिए यह रकम कई ग्राहकों को दी भी थी और बाकायदा TRP मैन्युप्लेट भी की। बदले में शिरीष और नारायण को आर्थिक फायदा हुआ, क्योंकि फर्जी तरीके से बढ़ी टीआरपी से इन दो चैनलों को विज्ञापन मिले। इस केस में सिर्फ फख्त मराठी और बॉक्स सिनेमा ही नहीं, रिपब्लिक, न्यूज नेशन और महामूवी चैनल के मालिक/चालक भी जांच के घेरे में हैं। CIU ने महामूवी चैनल के CEO संदीप वर्मा और बिजनेस हेड अमित दवे को रविवार को पूछताछ के लिए समन भी भेजा था।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved