भोपाल। विधानसभा उपचुनाव में सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के तेवर बदलते जा रहे हैं। पहले वे भाजपा और विकास के नाम पर वोट मांग रहे थे, लेकिन जैसे-जैसे चुनाव की तारीख निकट आ रही है, वे ग्वालियर-चंबल कें महल (सिंधिया राजपरिवार)के नाम पर वोट मांगने लगे हैं। हाल ही में उन्होंने ग्वालियर-चंबल में चुनावी सभाएं की है, जिसमें उनका अंदाज बदला हुआ दिखाई दिया। डबरा में इमरती देवी और बमौरी में महेंद्र सिंह सिसोदिया के लिए चुनावी सभा में महाराज आक्रामकता की सीमाओं से भी पार जाते दिखे। यही नहीं अब सिंधिया चुनावी मंच से मोदी या शिवराज सरकार के काम की बजाए सिंधिया राजपरिवार का प्रतिष्ठा का हवाला देते हुए वोट मांग रहे हैं आखिर बीच चुनाव के दौरान सिंधिया में आए इस बदलाव का कारण क्या है? सिंधिया ने बमौरी में कहा कि यह चुनाव महेंद्र सिंह सिसोदिया का नहीं, यह चुनाव कांग्रेस-बीजेपी का नहीं है ये आपको समझना है कि यह चुनाव मेरा है। पूरा देश देख रहा है कि ग्वालियर चंबल संभाग में सिंधिया परिवार का झंडा बुलंद रहेगा या नहीं अगर सिंधिया परिवार का मान सम्मान रखना है तो 3 तारीख को न प्रत्याशी देखना है न पार्टी देखना है केवल मुझे और शिवराज जी को देख कमल का बटन दबाओ।
उपचुनाव में दांव पर महल
कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आकर सिंधिया ने उपचुनव में अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया है। अभी तक ग्वालियर-चंबल की सियासत का सबसे बड़ा केंद्र महल रहा है। उपचुनाव में महल भी दांव पर लग चुका है। उपचुनाव में 28 में से 22 सीटों पर सिंधिया समर्थक मैदान पर हैं और भाजपा को सरकार बचाने के लिए महज 8 सीट पर ही जीत दर्ज करना है। ऐसे में भाजपा की सत्ता जितनी खतरे में नहीं उससे ज्यादा संकट में सिंधिया की प्रतिष्ठा है।
समर्थकों को हर हाल में जिताना चाहते हैं सिंधिया
उपचुनाव में कुछ सीटों पर सिंधिया समर्थक कुछ प्रत्याशियों की स्थिति कमजोर बताई जा रही है। ऐेसे में सिंधिया पूरी ताकत के साथ समर्थकों को जिताने में लगे हैं। जितनी ज्यादा संख्या में समर्थक चुनाव जीतेगी, भाजपा और सरकार में सिंधिया उतने ही ज्यादा ताकतवर होंगे। हालांकि भाजपा और सरकार को सिंधिया समर्थकों की हार से कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा। ऐसे में सिंधिया किसी भी कीमत पर अपने समर्थकों की जीत के साथ भाजपा में दबदबा बनाना चाहते हैं।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved