संयुक्त राष्ट्र । कोरोना Corona (कोविड-19) महामारी के कारण 15 से 17.5 करोड़ और लोग घोर गरीबी की चपेट में आ जाएंगे। संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के एक विशेषज्ञ जोकि अत्यधिक गरीबी और मानवाधिकार मामलों के विशेषज्ञ हैं, ओलिवियर डी शटर (Olivier de shutter) उन्होंने कहा है कि इस महामारी के कारण 15 से 17.5 करोड़ और लोगों को घोर गरीबी का सामना करना पड़ेगा।
शटर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की तीसरी समिति (सामाजिक, मानवीय और सांस्कृतिक) को इसके बारे में जानकारी दी। समिति के सदस्यों ने दुनिया के सबसे कमजोर वर्ग की दुर्दशा को लेकर चिंता व्यक्त की है। शटर ने कहा, ‘हमें अपने विकास मॉडल पर पुनर्विचार करना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि जो लोग घोर गरीबी की चपेट में आएंगे उनमें से अधिकतर अनौपचारिक क्षेत्र या अनिश्चित रोजगार की स्थिति में काम करने वाले कामगार होंगे। इनमें से अधिकतर महिलाएं होंगी।
आर्थिक सुधार को आकार देने के लिए पर्यावरणीय स्थिरता और सामाजिक न्याय को पूर्व शर्त माना जाना चाहिए। शटर समिति के प्रतिनिधियों के साथ वर्चुअल संवाद में भाग लेने वाले पांच स्वतंत्र विशेषज्ञों में से एक थे।
वैश्विक कोविड-19 महामारी को 9 माह पूरे हो चुके हैं। इस दौरान इसका असर पूरी दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों पर भी साफ देखा जा सकता है। पहले भी विश्व की आर्थिक प्रगति को लेकर दुनिया की कई बड़ी संस्थाएं इस बारे में अपनी रिपोर्ट दे चुकी हैं। अब अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की एक रिपोर्ट में ये बताया गया है कि कोविड-19 से गारमेंट सेंक्टर बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। एशिया-प्रशांत क्षेत्र में खासतौर पर निर्यात बाजारों में कंज्यूमर डिमांड में भारी गिरावट देखने को मिली है।
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