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    रबी सीजन में कम बनेगी बिजली, हो सकती है किल्लत

  • October 23, 2020

    भोपाल। प्रदेश में रबी सीजन के दौरान बिजली की किल्लत आ सकती है। इसकी वजह मप्र पॉवर जनरेशन कंपनी से उत्पादन में कमी होना है। प्रदेश की जरूरत के मुताबिक बिजली लेने के लिए निजी उत्पादकों से अतिरिक्त बिजली की खरीदी करनी होगी, क्योंकि मप्र पॉवर जनरेशन कंपनी के श्री सिंगाजी पॉवर प्लांट की 1320 मेगावाट की एक यूनिट में तकनीकी खराबी आ चुकी है। इस वजह से इस प्लांट के अगले चार माह तक शुरू होने की उम्मीद नहीं है।
    अक्टूबर से रबी सीजन शुरू हो जाता है। अभी से बिजली की डिमांड बढऩे लगी है। वर्तमान में 11 हजार से 12 हजार मेगावाट के बीच डिमांड बनी हुई है। दिसंबर से फरवरी तक सिंचाई अधिक होने लगती है इस वजह से बिजली की खपत भी बढ़ जाती है। मप्र पॉवर जनरेशन कंपनी रबी सीजन के लिए पहले से तैयारी करता है। थर्मल पॉवर प्लांट की कुल क्षमता 6115 मेगावाट है। इसमें मौजूदा समय में करीब 3 हजार मेगावाट ही बिजली का उत्पादन हो रहा है। 2245 मेगावाट क्षमता के पॉवर प्लांट फिलहाल बंद रखे हैं।

    ये प्लांट बंद
    श्री सिंगाजी में सबसे ज्यादा बिजली का उत्पादन मप्र पॉवर जनेशन कंपनी करती है। यहां की तीन नंबर और चार नंबर यूनिट बंद पड़ी हैं। ये दोनों ही यूनिट 660-660 मेगावाट की हैं। एक यूनिट की टरबाइन का बेल्ट टूट गया है। ये असामान्य खराबी है जिसे सुधार करने में लंबा वक्त लगेगा। चिंता की बात ये है कि एलएण्डटी कंपनी इसे सुधार के लिए ले गई है। परियोजना से जापानी टरबाइन निर्माता कंपनी मित्सुबीसी के भारत स्थित गुजरात के हजीरा में बने वर्कशाप में रवाना किया गया है। रोटर के क्षतिग्रस्त हिस्से को ठीक करने एवं उसको बेलेंसिंग कर बिजली उत्पादन में कितने माह का वक्त लगेगा इस बारे में अधिकारी भी कुछ बता नहीं पा रहे हैं। वहीं चार नंबर इकाई की टरबाइन को लंबी मशक्कत के बाद एलएलंटी कंपनी खोलकर सुधार करने के लिए राजी हुई है। तीन नंबर इकाई में खराबी को बिजली कंपनी अभी तक इस समझने में जुटी है। इस वजह से 1320 मेगावाट की बिजली रबी सीजन में मिलना मुमकिन नहीं होगा। वहीं सतपुड़ा पॉवर प्लांट के इकाई क्रमांक सात, आठ और नौ को भी फिलहाल बंद रखा गया है। इन सभी इकाइयों से 210-210 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है।

    शासन प्लांट से भरपाई
    बिजली कंपनी फिलहाल सिंगरौली के शासन पॉवर प्लांट से जरूरत की बिजली का उपयोग कर रही है। अभी मप्र पॉवर जनरेशन कंपनी भी क्षमता के अनुरूप बिजली का उत्पादन नहीं कर पा रही है। बिजली विशेषज्ञ एडवोकेट राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि 14 से 15 हजार मेगावाट तक बिजली की डिमांड पहुंचती है ऐसे में प्लांट खराब होने से निजी क्षेत्रों से महंगी बिजली खरीदनी होगी इसका बोझ उपभोक्ता को उठाना होगा।

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