नई दिल्ली। नवरात्रि के बाद श्री राम की विजय का प्रतीक कहा जाने वाला दशहरे का त्यौहार मनाया जाएगा। हर साल दशहरा अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। लेकिन इस बार नवमी तिथि के खत्म होते ही 25 तारीख को ही दशमी तिथि लग जाएगी। जिसके साथ दशहरा मनाया जाएगा।
मान्यताओं के मुताबिक इस दिन को श्री राम द्वारा रावण का वध करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस कारण इस दिन श्री राम की पूजा की जाने का अधिक महत्व है। तो वहीं कुछ धार्मिक मान्यताएं ये भी कहती हैं कि रावण से युद्ध करने से पहले श्री राम ने देवी दुर्गा से विजय का आशीर्वाद पाने के लिए पूरे नौ दिन तक उनकी पूजा की थी।
इसके अलावा कुछ मान्यताओं के मुताबिक दशहरे के दिन शमी के पेड़ की पूजा का विधान है। जी हां, जहां एक तरफ इस दिन लंका के राजा जिसे लंकापति भी कहा जाता था, का पुतला फूंका जाने की परंपरा है तो दूसरी ओर इस दिन पावन तिथि के दिन मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का संहार किया था, जिस कारण इस विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, इस दिन शस्त्रों की पूजा का भी विधान है। इसके अलावा इस दिन शमी के वृक्ष को पूजना भी लाभकारी माना जाता है। चलिए बताते हैं आपको इसका कारण।
संस्कृत में अग्नि को शमी गर्भ के नाम से जाता जाता है। ऐसी कथाएं है कि महाभारत काल में पांडवों ने शमी के पेड़ के ऊपर अपने अस्त्र-शस्त्र छिपाए थे। जिसके बाद से ही उन्होंने कौरवों से जीत की प्राप्ति हासिल की थी। विदयादशमी के दिन प्रदोषकाल में शमी वृक्ष का पूजन अति आवश्यक माना जाता है। कहते हैं कि शमी की पूजा विजय काल में करना फलदायी होती है।
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