भोपाल। प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर हो रहे सरकार बचाने और सरकार बनाने वाले उपचुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही प्रमुख पार्टियां अलग-अलग रणनीति बनाकर काम कर रही हैं। भाजपा को विश्वास है कि शहरी मतदाता का झुकाव उसकी ओर रहता है, इसलिए पार्टी की निगाहें ग्रामीण मतदाताओं पर हैं। इसी हिसाब से बड़े नेताओं की सभाएं तय की जा रही हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने अब तक ज्यादातर सभाएं या बैठकें विधानसभा क्षेत्रों के अंतर्गत आने वाले ग्रामीण अंचल में ली हैं। इसके विपरीत कांग्रेस की नजर शहरी और नगरीय वोटर पर है। पार्टी का मानना है कि ग्रामीण अंचल से उसे अच्छा खासा वोट मिलता है लेकिन शहर में वह पीछे रह जाती है। यही कारण है कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की ज्यादातर सभाएं विधानसभा मुख्यालयों पर आयोजित की जा रही हैं।
गूंज रहे नेताओं के बिगड़े बोल
उपचुनाव में विकास के मुद्दे तो पीछे छूट गए हैं और नेताओं के बिगड़े बोल ही गूंज रहे हैं। भाजपा व कांग्रेस के नेता एक दूसरे को अपना दुश्मन समझकर उनके बारे में अभद्र भाषा का उपयोग कर रहे हैं। अब हर जगह केवल यही चर्चा हो रही है कि किस नेता ने किस के बारे में क्या बोला है। उपचुनाव की शुरुआत गद्दार, टिकाऊ-बिकाऊ, भ्रष्टाचारी व दलाल जैसे शब्दों से हुई थी। चुनाव के मध्यकाल में कांग्रेस ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को नंगा-भूखा बोलकर भाजपा को चुनाव को आगे बढ़ाने का मुद्दा दे दिया था। भाजपा सुनियोजित तरीके से कमल नाथ को प्रदेश के सेठ की संज्ञा देकर कांग्रेस पर पलटवार कर रही थी। अब कमल नाथ ने प्रदेश की कैबिनेट मंत्री इमरती देवी के संबंध में अपमानजनक शब्द उन्हीं के क्षेत्र में बोलकर भाजपा को निर्णायक मोड़ पर पहुंचाने के लिए एक बड़ा हथियार दे दिया है। हालांकि कमल नाथ सफाई दे चुके हैं। उन्होंने इमरती देवी के संबंध में जो शब्द बोला है, उसका अर्थ वह नहीं था, जो भाजपा निकाल रही है।
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