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    सुनी सुनाई: मंगलवार 20 अक्टूबर 2020

  • October 20, 2020

    पांच दिन कहां रहे सिंधिया
    म प्र के प्रतिष्ठापूर्ण उपचुनाव से भाजपा के नए नवेले नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के अचानक पांच दिन लापता हो जाने की चर्चा जोर-शोर से है। भाजपा के चुनावी रथ से सिंधिया का फोटो हटने और भाजपा के स्टार प्रचारकों की सूची में दसवें नंबर पर सिंधिया का नाम आने के बाद 13 अक्टूबर से सिंधिया अचानक अज्ञातवास में चले गए। इसके बाद वे 18 अक्टूबर को ही सांवेर में नजर आए। खास बात यह है कि ग्वालियर चंबल संभाग में भाजपा ने अपने अधिकृत चुनावी पोस्टर, बैनर से सिंधिया का फोटो पूरी तरह हटा दिया है। भाजपा फिलहाल शिवराज और वीडी शर्मा के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है। इस क्षेत्र में भाजपा से ज्यादा सिंधिया का विरोध नजर आने से भाजपा के दिग्गज नेताओं ने फिलहाल सिंधिया से दूरी बना ली है।

    चुनाव से पहले आएगी सीडी
    म प्र का इतिहास राजनीतिक सद्भाव का रहा है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से सरकार बनाने और गिराने की मुहिम ने इस सद्भाव का सत्यानाश कर दिया है। मप्र के इतिहास में पहली बार हो रहे 28 सीटों का उपचुनाव सबसे गंदा और जहरीला चुनाव होने जा रहा है। नेता अब कमर के नीचे हमले करने लगे हैं। खबर आ रही है कि चुनाव से पहले भाजपा नेताओं की कुछ आपत्तिजनक सीडी जारी हो सकती है। तय है कि कांग्रेस राजनीतिक लाभ के लिए हनीट्रेप का मसाला चुनाव में उपयोग कर सकता है। इस संबंध में कांग्रेस के रणनीतिकार सीडी जारी करने पर चुनावी लाभ हानि का गुणा भाग लगाने में लगे हैं।

    भाजपा की जवाबी तैयारी
    कां ग्रेस चुनाव से पहले कुछ बड़ा कर सकती है इसकी भनक भाजपा के दिग्गज नेताओं को भी है। भाजपा नेताओं ने भी करारा जवाब देने की तैयारी शुरू कर दी है। दिल्ली विमानतल पर सैक्स टॉय के साथ पकड़े गए नेता की कहानी से लेकर महाकाल मंदिर में किस महिला के साथ पूजा की यह सारे किस्से निकालकर तैयार रखे गए हैं। भाजपा खेमे की रणनीति है कि यदि कांग्रेस किसी प्रकार की सीडी जारी करती है तो पूरे प्रदेश से एक साथ कांग्रेस नेताओं पर हमले किए जाएं।

    अखंड की माया
    म प्र की राजनीति में कपड़ों से ज्यादा पार्टी बदलने वाले पूर्व मंत्री अखंड प्रताप सिंह एक बार फिर चर्चा में हैं। कांग्रेस से राजनीति शुरू करने वाले अखंड प्रताप सिंह कई दलों में घूमकर कांग्रेस में वापिस आ गए थे, लेकिन उपचुनाव में फिर से बसपा का दामन थाम लिया है। अखंड प्रताप सिंह बड़ा मलहरा से बसपा उम्मीदवार बनाए गए हैं। इनके छोटे बेटे अभय प्रताप सिंह टीकमगढ़ में जिला भाजपा अध्यक्ष रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अभय प्रताप सिंह को पृथ्वीपुर से टिकट दिया था, लेकिन इनकी बुरी गत हुई। मात्र 7 प्रतिशत वोट लेकर यह चौथे स्थान पर रहे। अखंड प्रताप के बड़े बेटे मप्र विधानसभा के प्रमुख सचिव हैं। उनकी पुत्रवधु मप्र संसदीय विभाग के एक संस्थान में संचालक हैं। अब भाजपा हिसाब लगा रही है कि अखंड के खड़े रहने से फायदा है या नुकसान यदि नुकसान हुआ तो उन्हें मैदान से हटाने के उपाय सोच लिए गए हैं।

    फर्जी केस बना सिर दर्द
    अ शोकनगर में भाजपा प्रत्याशी जसपाल जज्जी ने कांग्रेस विधायक के रूप में भाजपा कार्यकर्ता दीपक ताम्रकर के खिलाफ बलात्कार का कथित झूठा प्रकरण दर्ज कराया था। अब चुनाव में यह प्रकरण उनके लिए सबसे बड़ा सिर दर्द बना हुआ है। भाजपा के तमाम सक्रिय कार्यकर्ता इस घटना से इतने नाराज हैं कि अभी तक जज्जी के समर्थन में वोट मांगने नहीं निकले हैं। जज्जी को भी भरोसा नहीं था कि उन्हें भाजपा में आना पड़ेगा और जिन भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ उन्होंने प्रकरण दर्ज कराए थे उन्हीं के सामने गिड़गिड़ाना पड़ेगा। फिलहाल दीपक ताम्रकर पर झूठा केस और अशोक पाटनी की पिटाई का मामला जज्जी के लिए हार का कारण भी बन सकता है।

    उपचुनाव और आईएएस की भूमिका
    ग्वा लियर चंबल संभाग में भाजपा की स्थिति मजबूत करने के लिए मंत्रालय में बैठे एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी की भूमिका तय की गई है। यूं तो कोई आईएएस चुनाव आचार संहिता के दौरान कोई राजनीतिक गतिविधि में भाग नहीं ले सकता, लेकिन परदे के पीछे से सत्ताधारी दल को मदद करने में अधिकारी पीछे नहीं रहते। प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी गई है कि ग्वालियर चंबल संभाग के प्रभावशाली सामाजिक संगठनों, व्यापारिक संगठनों के पदाधिकारियों को चुपके से भोपाल बुलाकर उनकी मुलाकात मुख्यमंत्री से कराई जाए ताकि मुख्यमंत्री उनकी समस्याओं को सुनकर समाधान का भरोसा देकर चुनावी माहौल को भाजपा के पक्ष में कर सके।

    अब सहज नहीं शिवराज
    मु ख्यमंत्री शिवराज की छवि बेहद सरल और सहज नेता की है। लेकिन उपचुनाव में शिवराज ने अपने ढंग से रणनीति बनाना शुरू कर दिया है। इसका असर यह हुआ कि दो बड़े नेताओं से शिवराज के संबंधों पर बरफ जमती दिखाई दे रही है। ज्योतिरादित्य सिंधिया का फोटो चुनावी रथों से हटाना और स्टार प्रचारकों में उनका नाम 10वें नंबर पर दर्ज करने से बेशक सिंधिया नाराज हों लेकिन यह शिवराज की सोची समझी रणनीति है। दूसरी ओर मप्र की राजनीति में शिवराज और कमलनाथ के संबंध बेहद करीबी रहे हैं। दोनों एक दूसरे की भरपूर मदद करते रहे हैं। लेकिन चुनाव के बीच शिवराज ने फिलहाल इन संबंधों को खूंटी पर टांग दिया है और जमकर कमलनाथ और उनकी पंद्रह महीने की सरकार को पानी पी पीकर कोस रहे हैं।

    और अंत में…
    म प्र पुलिस भी उत्तर प्रदेश की नकल करती नजर आ रही है। योगी आदित्यनाथ के इशारे पर जिस तरह उत्तर प्रदेश पुलिस अपराधियों का सरेआम एनकाउंटर कर रहे हैं वैसा तो मप्र पुलिस नहीं कर पा रही है, लेकिन अपराधियों की नकेल कसने का काम जरूर किया है। जबलपुर में 13 साल के बच्चे का अपहरण करने वाले आरोपी की मौत और उज्जैन में जहरीली शराब बेचने वाले आरोपी को पीट-पीट कर अधमरा करने के आरोप मप्र पुलिस पर लग चुके हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश की तरह मध्यप्रदेश के अपराधियों में पुलिस का भय दिखाई नहीं दे रहा है।

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