• img-fluid

    माता दुर्गा का चौथा स्‍वरूप है माता कूष्‍मांडा, जानिेयें

    October 20, 2020

    नवरात्रि (Navratri) के चौथे दिन शक्ति की देवी मां दुर्गा (Maa Durga) के चौथे स्‍वरूप माता कूष्‍मांडा (Kushmanda) की पूजा की जाती है। हिन्‍दू मान्‍यताओं के अनुसार जब इस संसार में सिर्फ अंधकार था तब देवी कूष्‍मांडा ने अपने ईश्‍वरीय हास्‍य से ब्रह्मांड की रचना की थी। यही वजह है कि देवी को सृष्टि के रचनाकार के रूप में भी जाना जाता है। इसी के चलते इन्‍हें ‘आदिस्‍वरूपा’ या ‘आदिशक्ति’ कहा जाता है। नवरात्र के चौथे दिन मां कूष्‍मांडा के पूजन का विशेष महत्‍व है। पारंपरिक मान्‍यताओं के अनुसार जो भी भक्‍त सच्‍चे मन से नवरात्र के चौथे दिन मां कूष्‍मांडा की पूजा करता है उसे आयु, यश और बल की प्राप्‍ति होती है।

    कौन हैं मां कूष्‍मांडा?
    ‘कु’ का अर्थ है ‘कुछ’, ‘ऊष्‍मा’ का अर्थ है ‘ताप’ और ‘अंडा’ का अर्थ है ‘ब्रह्मांड’. शास्‍त्रों के अुनसार मां कूष्‍मांडा ने अपनी दिव्‍य मुस्‍कान से संसार में फैले अंधकार को दूर किया था। चेहरे पर हल्की मुस्कान लिए माता कूष्‍मांडा को सभी दुखों को हरने वाली मां कहा जाता है। इनका निवास स्थान सूर्य है। यही वजह है माता कूष्‍मांडा के पीछे सूर्य का तेज दर्शाया जाता है। मां दुर्गा का यह इकलौता ऐसा रूप है जिन्हें सूर्यलोक में रहने की शक्ति प्राप्त है। देवी को कुम्‍हड़े की बलि प्रिय है।

    इस देवी का वाहन सिंह है और इन्हें कुम्हड़े की बलि प्रिय है। संस्कृति में कुम्हड़े को कुष्मांड कहते हैं इसलिए इस देवी को कुष्मांडा। इस देवी का वास सूर्यमंडल के भीतर लोक में है। सूर्यलोक में रहने की शक्ति क्षमता केवल इन्हीं में है। इसीलिए इनके शरीर की कांति और प्रभा सूर्य की भांति ही दैदीप्यमान है। इनके ही तेज से दसों दिशाएं आलोकित हैं। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में इन्हीं का तेज व्याप्त है।

    अचंचल और पवित्र मन से नवरात्रि के चौथे दिन इस देवी की पूजा-आराधना करना चाहिए। इससे भक्तों के रोगों और शोकों का नाश होता है तथा उसे आयु, यश, बल और आरोग्य प्राप्त होता है। ये देवी अत्यल्प सेवा और भक्ति से ही प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती हैं। सच्चे मन से पूजा करने वाले को सुगमता से परम पद प्राप्त होता है।

    कूष्‍मांडा मंत्र

    या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्‍मांडा रूपेण संस्थिता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

    विधि- विधान से पूजा करने पर भक्त को कम समय में ही कृपा का सूक्ष्म भाव अनुभव होने लगता है। ये देवी आधियों-व्याधियों से मुक्त करती हैं और उसे सुख-समृद्धि और उन्नति प्रदान करती हैं। अंततः इस देवी की उपासना में भक्तों को सदैव तत्पर रहना चाहिए।

    Share:

    राष्‍ट्रपति ट्रंप की विदेश नीति पर फाइनल प्रेसिडेंशियल डिबेट की मांग

    Tue Oct 20 , 2020
    वाशिंगटन । अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव में विदेश नीति पर फाइल प्रेसिडेंशियल डिबेट की मांग की है। इस सिलसिले में ट्रम्प के प्रचार अभियान के प्रमुख बिल स्टेपियन ने चुनाव आयोग को एक पत्र लिखा है और विदेश नीति के मुद्दे पर फाइनल प्रेसिडेंशियल डिबेट कराने […]
    सम्बंधित ख़बरें
    खरी-खरी
    सोमवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives

    ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved