नई दिल्ली। एशिया के सबसे ताकतवर देशों की सूची में भारत को चौथा स्थान मिला है। सिडनी के लोवी इंस्टिट्यूट ने एशिया पावर इंडेक्स 2020 में अमेरिका को लिस्ट में टॉप पर रखा है। हालांकि एशिया पैसिफिक क्षेत्र में उसकी पकड़ ढीली हो रही है और चीन का शिकंजा बढ़ रहा है। रिपोर्ट में अमेरिका, चीन और जापान के बाद भारत का नंबर है। लोवी इंस्टिट्यूट ने कहा है कि भारत ने कोरोना के चलते मौका गंवा दिया और वह रणनीतिक रूप से भी चीन से पिछड़ रहा है। संस्थान का अनुमान है कि भारत को चीन के आर्थिक आउटपुट के 40% तक पहुंचने में अभी 10 साल और लगेंगे। पिछले साल का अनुमान था कि भारत 2030 तक चीन के आर्थिक आउटपुट के 50% तक पहुंच जाएगा।
बाकी अर्थव्यवस्थाएं हांफ रहीं, चीन की ट्रैक पर
स्टडी के रिसर्च चीफ हर्वे लेमाहियु ने कहा कि ‘इसकी वजह से क्षेत्र में भारत के महाशक्ति बनकर उभरने में देरी हुई है।’ उन्होंने कहा कि ‘इसका मतलब यह भी है कि भारत विकास की चुनौतियों में उलझा रहेगा।’ लोवी इंस्टिट्यूट का अनुमान है कि चीन एक दिन अमेरिका के बराबरी में आ जाएगा और उससे आगे भी निकल सकता है। स्टडी कहती है कि एक तरफ अमेरिका की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लौटने में 2024 तक का वक्त लगेगा। वहीं, चीन की अर्थव्यवस्था काफी हद तक कोरोना के असर से उबर चुकी है। इससे उसे अपने पड़ोसियों पर ऐडवांटेज मिल गया है। चीन लगातार तीसरे साल इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर रहा है।
एशिया में सबसे ज्यादा ताकतवर कौन?
अमेरिका
चीन
जापान
भारत
रूस
ऑस्ट्रेलिया
दक्षिण कोरिया
सिंगापुर
थाईलैंड
मलेशिया
ट्रंप फिर चुने गए तो तेजी से बदलेंगे समीकरण
लेमाहियु के मुताबिक, अगर डोनाल्ड ट्रंप दोबारा अमेरिका के राष्ट्रपति बनते हैं तो एशिया बिना अमेरिका के रहना सीख लेगा। उन्होंने कहा कि जो बाइडेन के चुने जाने पर शायद एशियाई देश अमेरिका के साथ कारोबार करने के इच्छुक हों। जापान को रिपोर्ट में ‘स्मार्ट पावर करार दिया गया है। उसे सबसे ज्यादा पॉइंट्स डिफेंस डिप्लोमेसी के लिए मिले हैं। लिस्ट में ऑस्ट्रेलिया छठे नंबर पर आ गया है और उसने साउथ कोरिया को ओवरटेक किया है। इंडेक्स में सबसे ज्यादा नुकसान अमेरिका, रूस और मलेशिया को हुआ है। यह इंडेक्स 128 बिंदुओं पर देशों के आंकलन के बाद तैयार किया जाता है।
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