इंदौर। आत्मनिर्भर भारत की दिशा में ऊर्जा विभाग भी पहल कर रहा है। इंदौर में करीब साढ़े छह करोड़ की लागत की राष्ट्रीय स्तर की परीक्षण प्रयोगशाला बनाई जा रही है। यह प्रयोगशाला ट्रांसफार्मर, तार, केबल व अन्य बिजली उपकरणों के साथ ही बिजली के मीटरों का प्रमाणीकरण भी करेगी, जिससे आम लोगों को अधिक बिजली का बिल आने की समस्या और मीटर दौडऩे की शिकायत से निजात मिल सकेगी। इस प्रयोगशाला को उसी तरह मान्यता मिलेगी, जिस तरह किसी विश्वविद्यालय को ग्रेड मिलती है। इस प्रयोगशाला में सभी तरह की टेस्टिंग अत्याधुनिक तरीके से होगी। बाहर से टीम आएगी, इसके बाद ही इस प्रयोगशाला को राष्ट्रीय स्तर की मान्यता मिलेगी।
बिजली कंपनी के पोलोग्राउंड मुख्यालय में हाल ही में तैयार परीक्षण प्रयोगशाला को राष्ट्रीय स्तर की मान्यता के सघन प्रयास हो रहे हैं। अगले दो माह में नेशनल एक्रिडिएशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग कालिब्रेशन लेबोरेटरीज (एनएबीएल) से मान्यता मिलने की उम्मीद है। इसके लिए मप्रपक्षेविविकं ने समिति गठित करने के आदेश जारी कर दिए हैं। यह उच्च गुणवत्ता के साथ ही प्रयोगशाला की बेहतर के लिए कार्य करेगी। समिति में कार्यपालन यंत्री विनोदकुमार मालवीया व कीर्ति सिंह, सहायक यंत्री आशीष सराफ व कनिष्ठ यंत्री मेहरसिंह सिंगादिया को शामिल किया गया है। 15 अक्टूबर को उक्त विशेष समिति ने प्रयोगशाला का अवलोकन किया। समिति अब अपनी रिपोर्ट देगी, जिसके बाद राष्ट्रीय स्तर की टीम इसका निरीक्षण करने आएगी। इसके बार संयुक्त रिपोर्ट तैयार होगी। यह रिपोर्ट व जिन उपकरणों की जांच होना है, उन्हें अन्य तीन प्रयोगशाला में फिर से भेजा जाएगा। चारों रिपोर्ट समान होने पर बिजली कंपनी की ओर से एनएबीएल नई दिल्ली को प्रमाण पत्र प्रक्रिया के लिए आवेदन दिया जाएगा। दिल्ली से टीम के इंदौर आने एवं सभी जांच, उपकरण एवं मानव संसाधन समेत अन्य घटक ठीक पाए जाने पर मान्यता प्रदान की जाएगी। बिजली कंपनी को दिसंबर तक एनएबीएल प्रमाण पत्र मिलने की उम्मीद है। इस तरह का प्रमाण पत्र अभी बिजली मामलों में संभवत: किसी के पास नहीं है।
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