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    उपचुनाव में हटने वाले अफसरों को मिलती है मलाईदार पोस्टिंग

  • October 15, 2020

    • सरकार ज्यादातर को उसी जिले में फिर से करती है पदस्थ
    • प्रमोटी अफसर जल्दी आते हैं चुनाव आयोग के निशाने पर

    रामेश्वर धाकड़, भोपाल
    चुनाव आयोग किसी आचार संहिता के दौरान जब किसी भी अफसर का तबादला करता है तो उसके पीछे ठोस वजह होती है, लेकिन चुनाव बाद सरकार सबसे पहले उन अफसरों की मलाईदार पोस्टिंग करती है, जो पार्टी के पक्ष में काम करने की वजह से आयोग के निशाने पर आए। इनमें से ज्यादातर को उसी जिले में वापस भेजा जाता है तो कुछ मलाईदार पोस्टिंग पाते हैं। मप्र के प्रशासनिक अफसरों में रिटायर्ड आईएएस एसके मिश्रा का उदाहरण चर्चित है, जब चुनाव आयोग ने 2006 में सीहोर जिले के बुधनी विधानसभा उपचुनाव में राजनीतिक मंच पर नेताओं के सामने घुटने टेक बैठने का फोटो वायरल होने पर हटाया था। बाद में एसके मिश्रा मप्र सरकार में सबसे ताकतवर अफसर बनकर उभरे थे। प्रदेश में 28 सीटों पर विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। राजनीतिक दलों द्वारा जमकर आचार संहिता का उल्लंघन किया जा रहा है। कोविड गाइडलाइन का उल्लंघन होने और सरकारी धन से नेताओं की सभाओं की व्यवस्था करने पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस थमाया है। विपक्षी दल कांगे्रस ने कुछ जिलों के कलेक्टर एवं एसपी के खिलाफ पक्षपातपूर्ण कार्रवाई करने की शिकायत चुनाव आयोग से की है। जिस पर आयोग ने दतिया कलेक्टर संजय कुमार, एसपी अमन सिंह राठौर को हटाया दिया है। जबकि इंदौर, छतरपुर सहित अन्य जिलों के अफसरों की शिकायत की चुनाव आयोग में लंबित है।

    उपचुनावों में ये अफसर हटे, वापस गए
    2017 में अटेर विधानसभा उपचुनाव में भिंड कलेक्टर टी इलैया राजा को ईवीएम के डेमो में टेक्निकल समस्या के चलते हटाया था। हालांकि यह गलती सीईओ सलीना सिंह के वीडियो से सामने आई थी। चुनाव के दौरान भिंड एसपी अनिल सिंह कुशवाह को भी हटाया। चुनाव बाद दोनों के वापस भिंड में पदस्थ किया। फरवरी 2018 में मुंगावली एवं कोलारस विधानसभा उपचुनाव में चुनाव आयोग ने मतदाता सूची में त्रुटि पर अशोकनगर कलेक्टर बीएस जामौद को हटाकर वीएस चौधरी कोशलानी को भेजा था।

    लोकसभा चुनाव में 6 एसपी 4 कलेक्टर हटे
    पिछले साल लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 29 में से 28 सीटों पर जीत हासिल की। इससे बावजूद भी भाजपा चुनाव आयोग में पक्षपात की शिकायत कर 4 कलेक्टर एवं 6 पुलिस अधीक्षकों को हटवाने में सफल रही। इनमें से कुछ अफसरों को कमलनाथ सरकार ने वापस उन्हीं जिलों में भेज दिया था। लोकसभा चुनाव में छिंदवाड़ा कलेक्टर श्रीनिवास शर्मा, शहडोल कलेक्टर ललित दाहिमा (आचार संहिता के दौरान मंत्री के साथ बैठने पर), निमाड़ी कलेक्टर अक्षय सिंह, उमरिया कलेक्टर अमरपाल सिंह (शहडोल लोकसभा से पत्नी प्रतिभा सिंह कांग्रेस प्रत्याशी थीं)को हटाया था। चुनाव बाद कमलनाथ सरकार ने श्रीनिवास शर्मा, ललित दाहिमा और अक्षय सिंह को फिर से उन्हीं जिलों का कलेक्टर बनाकर भेजा था। जबकि जबलपुर एसपी अमित सिंह (दोस्त की शादी में डांस करने का पुराना वीडियो सामने आने पर , सतना एसपी संतोष गौर, मुरैना एसपी रियाज इकबाल (कांग्रेस नेता (अब भाजपा सरकार में मंत्री)के भतीजे पर केस दर्ज करने पर ), पन्ना एसपी अनिल सिंह कुशवाह, सिंगरौली एसपी हितेष चौधरी (कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी के भाई होने की वजह से आरोप लगे ), दमोह एसपी आरएस बेलवंशी, छिंदवाड़ा डीआईजी जीके पाठक, भोपाल डीआईजी ग्रामीण केबी शर्मा, इंदौर डीआईजी ग्रामीण डीएस चौधरी को हटाया था। चुनाव बाद अमित सिंह को जबलपुर का ही एसपी बनाया। भाजपा सरकार ने भाजपा नेताओं की शिकायत पर हटा दिया था।

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