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    1.44 करोड़ के मुआवजा कांड में कलेक्टर के हस्ताक्षर निकले असली

  • October 15, 2020

    बेटमाखुर्द के चर्चित प्रकरण में फर्जी हस्ताक्षर की करवा दी एफआईआर, अब जांच के बाद हुआ खुलासा

    इंदौर। पिछले दिनों बेटमाखुर्द की राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए अधिगृहीत की गई जमीन के मुआवजे की 1.44 करोड़ रुपए की राशि को लेकर प्रशासन की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर ही फर्जी निकली, जिसमें आरोप लगाया गया कि तत्कालीन कलेक्टर के फर्जी हस्ताक्षर से मुआवजा हासिल करने का आवेदन प्रस्तुत कर धोखाधड़ी की गई। लेकिन कलेक्टर मनीष सिंह द्वारा जांच के लिए गठित कमेटी ने कलेक्टर के हस्ताक्षर सही पाए हैं। अब एफआईआर दर्ज करवाने वाले अपर कलेक्टर शंका के घेरे में आ गए।

    यह मामला देपालपुर तहसील में राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए अधिगृहीत की गई जमीन से जुड़ा है। औद्योगिक केन्द्र विकास निगम द्वारा एनएच-59 से जुडऩे वाले गांवों के लिए मुआवजा तय किया गया था, जिसमें 1.44 करोड़ का मुआवजा भी शामिल था। इसमें आरोप लगाया गया कि मुआवजे से मिलने वाली राशि के लिए तत्कालीन कलेक्टर लोकेश जाटव के फर्जी हस्ताक्षर कर आवेदन लगा दिया गया और एक ही परिवार की तीन महिलाओं और एक पुरुष पर धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज कराया गया। कलेक्टर के समक्ष जो प्रकरण पेश हुआ वह साबरा बी पति अब्दुल नासिर, नदीम अहमद, फौजिया और सूफिया नवेद के नाम से था। यह बताया गया कि राजस्व रिकॉर्ड में दर्र्ज अब्दुल नासिर तो जमीन पहले ही बेच चुका था, जिसका नामांतरण रिकॉर्ड में नहीं हुआ। जमीन राजस्व रिकॉर्ड में अब्दुल नासिर गनी के नाम से है और कलेक्टर के समक्ष जो प्रकरण पेश हुआ वह अलग नामों से हुआ। आरोप था कि आरोपियों ने फर्जी तरीके से नाम चढ़वाकर एकेवीएन से सहमति पत्र हासिल कर मुआवजा राशि प्राप्त करने के प्रयास किए। भू-अर्जन शाखा में मुआवजे का प्रस्ताव गया तो उसकी जांच में यह कह दिया कि तत्कालीन कलेक्टर के हस्ताक्षर फर्जी हैं। इस आधार पर थाने में एफआईआर भी अपर कलेक्टर पवन जैन द्वारा दर्ज करवा दी गई। इस प्रकरण की कलेक्टर मनीष सिंह द्वारा जांच करवाने के लिए गठित कमेटी ने पाया कि तत्कालीन कलेक्टर के हस्ताक्षर फर्जी नहीं, बल्कि असली थे।

    एफआईआर दर्ज कराने वाले अपर कलेक्टर शंका के घेरे में
    इस संबंध में श्री जाटव से जानकारी भी ले ली गई, जबकि अपर कलेक्टर ने बिना यह चैक किए कि हस्ताक्षर सही हैं या फर्जी, एफआईआर दर्ज करवा दी। लिहाजा अब वे खुद इस मामले में शक के घेरे में आ गए। यह भी उल्लेखनीय है कि यह जमीन भी शहर के जाने-माने नफीस परिवार से जुड़ी है, जिनके परिवार के बीच ही जमीनी और अन्य विवाद पिछले कई दिनों से चल रहे हैं। वहीं इस मामले में एफआईआर के आधार पर जालसाजी के जुर्म में 3 लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज कर जेल भिजवा दिया।

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