इस्लामाबाद। भारत और पाकिस्तान में चल रहे तनावपूर्ण संबंधों के बीच इमरान खान सरकार ने दावा किया है कि पिछले साल मोदी सरकार ने उसे बातचीत का न्योता दिया था। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के राष्ट्रीय सुरक्षा पर सलाहकार मोइद युसूफ ने कहा कि पाकिस्तान ने कश्मीर समेत सभी लंबित मुद्दों पर भारत के साथ ‘सार्थक बातचीत’ शुरू करने से पहले 5 शर्ते रखी हैं। उन्होंने भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ पर पाकिस्तान में आतंकवाद फैलाने का भी आरोप लगाया। पाकिस्तान के अधिकारी ने ये भी दावा किया है कि भारत ने बातचीत की इच्छा जताई थी लेकिन इस्लामाबाद ने कश्मीर को भी वार्ता में शामिल करने पर जोर दिया। हालांकि, भारत सरकार की तरफ से इसे लेकर पुष्टि नहीं हुई है। डॉ. युसूफ ने कहा कि भारत को कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म का फैसला भी वापस लेना चाहिए। युसूफ ने कहा कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करना भारत का आंतरिक मामला नहीं है बल्कि संयुक्त राष्ट्र का मामला है।
पाकिस्तान का यह दावा ऐसे समय पर आया है जब भारत ने स्पष्ट किया है कि बातचीत और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते हैं। भारतीय न्यूज वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में मोइद ने कहा कि पाकिस्तान भारत के साथ शांतिपूर्ण संबंधों का इच्छुक है और सभी मुद्दों को बातचीत के जरिए सुलझाना चाहता है। उन्होंने कहा कि भारत के साथ बातचीत शुरू करने से पहले पाकिस्तान की पांच शर्ते हैं।
मोइद ने 5 शर्तों के बारे में कहा कि भारत को कश्मीर के सभी राजनीतिक कैदियों को छोड़ना होगा, बंदी और रोक को हटाना होगा, गैर कश्मीरियों को बसने का अधिकार देने वाले कानून को खत्म करना होगा, मानवाधिकारों के कथित उल्लंघनों को बंद करना होगा और पाकिस्तान में कथित आतंकवाद को बंद करना होगा। उन्होंने दावा किया कि हाल के दिनों में भारत की ओर से पाकिस्तान को बातचीत के लिए संदेश मिले हैं।
पाकिस्तानी पीएम के सलाहकार ने कहा कि पाकिस्तान नहीं चाहता है कि भारत दुनिया को केवल यह बताए कि सभी कुछ ठीक हो गया है और हर चीज पर सहमति बन गई है। उन्होंने कहा कि बातचीत के लिए माहौल बनाना होगा। इमरान के सलाहकार ने भारत की खुफिया एजेंसी रॉ पर पाकिस्तान में आतंकवाद फैलाने का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान के पास इस बात के सबूत हैं कि दिसंबर 2014 में पेशावर में हुए एपीएस आतंकी हमले की साजिश रॉ ने रची थी।’
मोइन ने कहा कि भारत ने पाकिस्तान के पड़ोसी देशों के दूतावासों का इस्तेमाल ग्वादर, चीनी वाणिज्य दूतावास कराची और पाकिस्तानी स्टॉक एक्सचेंज पर हमले के लिए किया। उन्होंने आरोप लगाया, ‘भारत ने 10 लाख डॉलर खर्च किए ताकि तहरीके तालिबान पाकिस्तान (TTP) के अफगानिस्तान में विभिन्न धड़ों में मर्जर हो जाए। बता दें कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी पाकिस्तानी अधिकारी ने भारत के साथ बातचीत को लेकर भारतीय मीडिया से बातचीत किया है।
डॉ. युसूफ ने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान एक शांत पड़ोसी देश चाहते थे लेकिन भारत की विस्तारवादी और हिंदुत्ववादी नीतियां शांति के रास्ते में सबसे बड़ी अड़चन बन गईं। उन्होंने कहा कि अगर भारत एक कदम उठाता है तो पाकिस्तान दो कदम आगे बढ़ा देगा। पाकिस्तान के अधिकारी ने कहा कि कश्मीरी किसी भी वार्ता में मुख्य पक्षकार होंगे और उनकी भावनाओं का ध्यान रखा जाना चाहिए।
पाकिस्तान की सरकार की तारीफ करते हुए डॉ. युसूफ ने कहा कि पाकिस्तान की सरकार अपने देश की आर्थिक सुरक्षा और संपन्नता के लिए काम कर रही है जबकि भारत की सरकार हिंदुत्व की विचारधारा में अंधी हो गई है। उसने अपनी विस्तारवादी नीतियों की वजह से पड़ोसी देशों को खो दिया है जबकि पाकिस्तान क्षेत्र में शांति कायम कर रहा है। डॉ. युसूफ ने कहा, भारत समझौता और बाबरी मस्जिद के मामले में दोषियों को सजा दिलाने में नाकाम रहा जबकि वो पाकिस्तान पर आतंकवाद के मामलों में देरी करने का आरोप लगाता रहता है। इससे भारत का दोहरा चरित्र उजागर होता है।
गिलगित-बाल्टिस्तान और कश्मीर मुद्दे को लेकर डॉ. युसूफ ने कहा कि पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को मान्यता देता है और 80 लाख कश्मीरियों की महत्वाकांक्षाओं को पूरा करना चाहता है। भारत का प्रोपेगैंडा कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के सिद्धांत को हिला नहीं पाएगा। बता दें कि पाकिस्तान गिलगित-बाल्टिस्तान में अपना अवैध कब्जा मजबूत करने की तमाम कोशिशें कर रहा है।
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