भोपाल। अधिकमास की समाप्ति के बाद नवरात्र पर्व 17 अक्टूबर से शुरू हो जाएगा। नवमी व विजयादशमी 25 अक्टूबर को मनाई जाएगी। माता की विदाई उदया तिथि को होगी और दशहरा का शस्त्र पूजन दोपहर व्यापनी तिथि में होगा। इस बार नौ दिन में ही पर्व पूरा हो जाएगा। तिथियों का उतार चढ़ाव भी प्रमुख कारण है। 24 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर नौ मिनट तक अष्टमी है। उसके बाद नवमी लग जाएगी। दो तिथियां एक ही दिन पड़ रही हैं। ब्रह्म शक्ति ज्योतिष संस्थान के पंडित जगदीश शर्मा ज्योतिषाचार्य ने बताया कि अष्टमी और नवमी की पूजा एक ही दिन होगी, जबकि अगले दिन सुबह 10 बजकर 57 मिनट के बाद दशमी तिथि लग जाएगी। इस कारण दशहरा पर्व और अपराजिता पूजन एक ही दिन होंगे। 17 से 25 अक्टूबर के बीच नौ दिनों में दस पर्व संपन्न हो रहे हैं। 25 अक्टूबर शाम 7:12 बजे पंचक लग रहे हैं। ऐसे में 26 अक्टूबर को दशहरा पर्व नहीं मनेगा। मां चामुंडा दरबार के पुजारी पंडित रामजीवन दुबे ने बताया कि नवरात्र में 17 अक्टूबर को इस बार घट स्थापना सर्वार्थ सिद्धि योग में होगी। इसके साथ ही नवरात्र के नौ दिन में से सात दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि सिद्धि, द्विपुष्कर योग और सौभाग्य योग बनेंगे। ये योग लोगों को नई वस्तु खरीदने, गृह प्रवेश करने, रिश्ते तय करने के मामले में शुभ फल देने वाले होंगे। इसके अलावा अन्य मांगलिक कार्य हो सकते हैं।
ज्यादातर पंडालों में विराजेंगी छह फीट की प्रतिमाएं
देवी प्रतिमाएं बनाने वाले कलाकार एक महीने पहले आशंकित थे कि इस बार उन्हें एक-दो फीट की मूर्तियां बनाने की अनुमति ही मिलेगी। पहले छह फीट की प्रतिमाएं स्थापित करने की अनुमति मिली और इसके बाद आकार का बंधन हटा दिया गया। हालांकि जब तक बंधन हटा, उस समय तक पंडाल के आयोजक प्रतिमाओं का ऑर्डर दे चुके थे, इसलिए अब ज्यादातर पंडालों में छह फीट की प्रतिमाएं ही स्थापित होंगी।
दुर्गा उत्सव समतियों ने शुरू की तैयारियां
समितिओं की ओर से पंडाल बनाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। दुर्गा प्रतिमाओं की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। मूर्तिकारों का कहना है कि नवरात्र के पहले दिन भीड़ न हो, इसलिए खरीदी के लिए प्रतिमाओं को पहले से तैयार कर लिया जाएगा। कोरोना संक्रमणकाल में अनलॉक पांच के बाद नवरात्र पहला त्योहार है।
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