ग्वालियर। स्व. राजमाता जी नारी सशक्तीकरण के लिए लगातार प्रयासरत रहीं। आज देश की महिलाएं सेनाओं में शामिल होकर देश की सुरक्षा कर रही हैं। तीन तलाक के खिलाफ कानून राजामाता के उसी संघर्ष की परिणति है। उन्होंने कश्मीर से धार 370की समाप्ति के लिए जो संघर्ष किया, उसकी परिणति हम धारा 370 की समाप्ति के रूप में देख रहे हैं। राम जन्मभूमि के लिए उनका संघर्ष भी उनके जन्म शताब्दी वर्ष में पूरा हो गया है। सशक्त, सुरक्षित और समृद्ध भारत उनका सपना था और उनके इस सपने को हम ‘आत्मनिर्भर भारत’ के माध्यम से साकार करेंगे। यह बात प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने राजमाता स्व. विजयराजे सिंधिया के जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर उनकी स्मृति में 100 रुपये के सिक्के का विमोचन करते हुए कही। इस वर्चुअल कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चैहान, केंद्रीय मंत्री श्री नरेंद्रसिंह तोमर, श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत अनेक मंत्रियों, जनप्रतिनिधियों, पार्टी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं ने ग्वालियर से सहभागिता की।
राजमाता का जीवन वर्तमान पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि स्व. राजामाता उन लोगों में शामिल थीं, जिन्होंने बीती शताब्दी में देश को दिशा देने का काम किया। वे सिर्फ एक महारानी नहीं थीं, बल्कि एक निर्णायक नेता और कुशल प्रशासक भी थीं। वे आजादी के बाद के दशकों में राजनीति के कई अहम पड़ावों की साक्षी रहीं। आजादी के पहले विदेश वस्त्रों की होली जलाने से लेकर आपातकाल के विरोध और राम जन्मभूमि मंदिर के लिए हुए आंदोलन में भी वे शामिल रहीं। उनकी जीवन यात्रा के बारे में वर्तमान पीढ़ी जाने, उनसे सीखे इसके लिए जरूरी है कि उनके बारे में बार-बार बात की जाए। इसीलिए मैंने मन की बात कार्यक्रम में भी उनके बारे में चर्चा की थी।
जनसेवा के लिए विशेष परिवार में जन्म लेना जरूरी नहीं
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि विवाह के पूर्व राजमाता जी एक सामान्य परिवार से थीं और विवाह के बाद राजपरिवार की सदस्य बनीं। उन्होंने यह पाठ पढ़ाया कि जनता की सेवा के लिए किसी विशेष परिवार में जन्म लेना जरूरी नहीं है। जिसमें योग्यता है, सेवा की भावना है, वो सत्ता को सेवा का माध्यम बना सकता है। उनके पास सत्ता और सामर्थ्य भी था, लेकिन आज संस्कार, सेवा और स्नेह की सरिता को ही उनकी अमानत के रूप में देखा जाता है। उनके पास कई कर्मचारी थे, महल थे, लेकिन उन्होंने गांव और गरीब से जुड़कर जीवन जीया।
महारानी होकर लोकतंत्र के लिए लड़ीं
मोदी ने कहा कि स्व. राजमाता जी एक महारानी थीं, राजशाही वाले परिवार की सदस्य थीं, लेकिन उन्होंने लोकतंत्र के लिए संघर्ष किया। आपातकाल का विरोध करने पर वो जेल भी गईं। उन्होंने दिल्ली के तिहाड़ जेल से लिखी चिट्ठी में लिखा था-भावी पीढ़ियों को सीना तानकर जीने की प्रेरणा मिले, इसलिए आज की विपदा को धैर्य से झेलना चाहिए। उन्होंने देश की भावी पीढ़ी के भविष्य के लिए अपना वर्तमान समर्पित कर दिया। उन्होंने पद-प्रतिष्ठा के लिए जीवन नहीं जीया। आडवाणी जी, स्व. वाजपेयी जी ने उनसे जनसंघ का अध्यक्ष पद संभालने का अनुरोध किया, तो उन्होंने इंकार कर दिया। वे कार्यकर्ता बनी रहीं और उन्होंने लोगों के बीच रहकर सेवा करना पसंद किया।
देश को जागृत करना चाहती थीं राजामाता जी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि राजमाता जी के पूजाघर में भगवान के साथ-साथ भारतमाता का भी चित्र रहता था और वे उनकी भी पूजा करती थीं। एक बार जब वे पार्टी के कार्यक्रम में मथुरा गईं, तो वहां बांके बिहारी मंदिर में प्रार्थना की-हे कृष्ण ऐसी बांसुरी बजाओ कि देश के सब नर-नारी फिर जागृत हो जाएं। वो जानती थीं कि जागरूक नागरिक क्या कर सकते हैं। उनकी जन्मशताब्दी पर उनकी यह प्रार्थना साकार हो रही है। बीते दिनों में देश में जो भी अभियान और योजनाएं सफल हुए हैं, उनका आधार जनचेतना ही है।
इस कार्यक्रम को ग्वालियर से संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने कहा कि श्रद्धेय राजमाता जी ने हमेशा अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई और जब 1967 में कांग्रेस की सरकार ने प्रदेश की जनता के साथ अन्याय किया तो उन्होंने उस सरकार को जमीन दिखा दी। वहीं फिर से कांग्रेस ने प्रदेश में कुशासन दिया तो ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आवाज उठाई और सरकार को गिराकर राज्य में नई सरकार बनवाई।
सोमवार को बंधन वाटिका में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा श्रद्धेय राजमाता जी भले ही राजघराने की थीं, लेकिन सेवा का प्रतीक थीं और उन्होंने हमेशा अन्याय के खिलाफ संघर्ष किया। जब 1967 में प्रदेश की जनता के साथ कांग्रेस की सरकार ने अन्याय किया तो उन्होंने इस सरकार को गिराने में देर नहीं की। उसी प्रकार स्व. माधवराव जी ने अन्याय के खिलाफ आवाज उठाकर विकास कांग्रेस बनाई और अब श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रदेश को कांग्रेस के कुशासन मुक्ति दिलाकर नई सरकार बनाने में योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि जब 1971 में पूरे देश में इंदिरा लहर थी और उस समय स्व. माधवराव जी भी राजमाता के साथ जनसंघ में थे, लेकिन उस कांग्रेस की लहर में भी पूरे मध्य भारत क्षेत्र में 11 सीटें जीतकर जनसंघ को दी थीं। आज श्रद्धेय राजमाता जी जरुर प्रसन्न होंगी कि पूरा सिंधिया परिवार भाजपा में है और श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जी उनके अधूरे कामों को पूरा करने के लिए पार्टी और सरकार के साथ जुड़े हैं।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि श्रद्धेय राजमाता जी केवल एक परिवार की नहीं बल्कि लाखों लोगों की मां थी और लोगों के दिलों में स्थापित थीं। उन्होंने एक प्रसंग को याद करते हुए बताया कि जब नर्मदा नदी में बाढ़ आई तो उनका गांव भी डूब गया। उस समय राहत देने न तो प्रशासन पहुंचा और न ही सरकार, लेकिन राजमाता जी लोगों के लिए राहत सामग्री लेकर पहुंच गईं। भाजपा का आज जो विशाल वट वृक्ष है, उसमें श्रद्धेय राजमाता जी के साथ ठाकरे जी व अटलजी का अतुलनीय योगदान है और ऐसी ममतामयी, स्नेहमयी दयावान मां को स्मरण करके हम सभी लोग श्रृद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।
इस कार्यक्रम में केन्द्रीय मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि श्रद्धेय राजमाता जी के जन्म शताब्दी वर्ष पर भारत सरकार 100 रुपए का स्मारक सिक्का जारी करके उनके योगदान को याद कर रही है। उन्होंने कहा कि देश में कई रियासतें थीं और कई राजमाताएं और महारानियां थीं, लेकिन देश में आजादी और लोकतंत्र आने के बाद जो काम श्रद्धेय राजमाता विजयाराजे जी ने किए, जिससे वे ऐसी लोकप्रिय हुईं कि दूसरे राजघराने उनके पासंग भी नहीं हैं।
कार्यक्रम में राज्यसभा सांसद श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने श्रद्धेय राजमाता जी को याद करते हुए कहा कि शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने उनके योगदान को चिर स्थायी बनाने के लिए जो स्मारक सिक्का जारी किया है, वो केवल देश के लोगों को नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश और ग्वालियर-चंबल के लोगों को प्रेरणा देता रहेगा। श्रद्धेय आजी अम्मा जी (राजमाता विजयाराजे सिंधिया) ने जीवन भर गरीबों, खासतौर से महिलाओं के हितों के लिए संघर्ष किया। श्रद्धेय कुशाभाऊ ठाकरे जी, अटलजी के साथ मिलकर देश, प्रदेश और ग्वालियर के उत्थान का लक्ष्य बनाया। अब प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान जी राजमाता जी के आदर्शों पर चलते हुए प्रदेश का विकास करने में जुटे हुए हैं।
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