img-fluid

मानसिकता बदलने से सुधरेंगे हालात

October 11, 2020

– डा. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा

राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो द्वारा जारी आंकड़ों में महिलाओं के खिलाफ अपराध के दहलाने वाले आंकड़े और हाथरस सहित देश के विभिन्न हिस्सों में महिलाओं के खिलाफ लगातार हो रही घटनाओं को देखते हुए केन्द्र सरकार ने राज्य सरकारों को नई एडवाइजरी जारी की है। एडवाइजरी में महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न के मामलों में तत्काल प्राथमिकी दर्ज करने, क्षेत्राधिकार का विवाद होने पर जीरो एफआईआर दर्ज करने, दो माह में जांच पूरी करने और मृत्यु के समय दिए बयान को महत्व दिए जाने के निर्देश दिए हैं। ऐसे मामलों में प्राथमिकी दर्ज नहीं करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सजा का प्रावधान करने के साथ रेप की सूचना के 24 घंटे में पीड़िता की सहमति से रजिस्टर्ड मेडिकल प्रेक्टिशनर से जांच कराने और यौन शोषण के मामलों में फॉरेंसिक सबूत एकत्रित करने की गाइडलाइन बनाई है। ऐसे मामलों की जांच प्रगति की मॉनेटरिंग के लिए केन्द्र सरकार के गृह मंत्रालय ने एक पोर्टल भी बनाया है जिसके माध्यम से मॉनेटरिंग की जाएगी।

दरअसल महिला उत्पीड़न के मामलों में ज्यों-ज्यों दवा दी त्यों-त्यों मर्ज बढ़ते जाने वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। साल-दर-साल मामलों में बढ़ोतरी ही हो रही है। याद करें जब दिल्ली में निर्भया काण्ड हुआ था, पूरा देश हिल गया था। दिल्ली सहित समूचे देश में विरोध प्रदर्शनों, कैण्डल मार्च सहित न जाने कितनी तरह के मार्च व विरोध-प्रदर्शन देखने को मिले। सरकार ने कानून को और अधिक कठोर बनाया पर परिणाम यह रहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले कम होने का नाम नहीं ले रहे। एनसीआबी की हालिया रिपोर्ट में देश में साल 2019 में 4 लाख 5 हजार 861 मामले दर्ज किए गए हैं। इसका सीधा अर्थ यह निकाला जा सकता है कि देश में प्रतिदिन 87 मामले महिला उत्पीड़न के दर्ज हो रहे हैं। महिलाओें के खिलाफ अत्याचार के मामलों में एक साल में ही 7.3 फीसदी की बढ़ोतरी रही है। सर्वाधिक 30.9 फीसदी मामलों में दोषी कोई और नहीं अपितु नाते-रिश्तेदार हैं, जिनमें महिला का पति भी शामिल है। यह वो मामले हैं जो दर्ज हुए हैं। इतने या इतनों से भी अधिक मामले पुलिस तक पहुंचते नही हैं। सवाल यह है कि आखिर हमारी मानसिकता क्यों विकृत होती जा रही है?

एक प्रश्न अपने आप में गंभीर है कि इस तरह की घटनाओं को राजनीतिक व जातिवादी और धार्मिक रूप देने के प्रयास भी हो जाते हैं। याद करें, दुनियाभर में जब मीटू आंदोलन चला, सारी दुनिया हिल गई पर महिला अपराधों में कमी आई हो यह देखने को नहीं मिल रहा। कानून में सख्ती, फास्ट ट्रैक अदालतों, सरकारी एडवाइजरी और न जाने कितने प्रयासों के बावजूद वही ढाक के तीन पात देखने को मिलते हैं। ऐसा नहीं है कि कानून सजा नहीं देता है, इसमें भी कोई दो राय नहीं कि अब ऐसे मामलों में न्यायालयों द्वारा जल्दी फैसले दिए जाने लगे हैं। निर्भया मामलें में फांसी की सजा या पिछले दिनों जयपुर में गए साल के ही थानागाजी प्रकरण में दोषियों को मृत्यु होने तक के आजीवन कारावास की सजा आदि को कम कर नहीं आका जा सकता। पर तस्वीर का दूसरा पहलू यह है कि लोगों में भय अभीतक नहीं है। अपराधियों में भय होना सबसे जरूरी है। अपराधियों की हिम्मत देखिए कि गैंगरेप जैसी वारदात कर देते हैं, अगवा कर लेते हैं, यहां तक कि वीडियो बनाकर उसे सार्वजनिक करने में भी नहीं हिचकते। आखिर यह विकृत मानसिकता नहीं तो और क्या है?

कानूनी प्रावधानों, तत्काल कार्रवाई, सख्त सजा के बावजूद अभीतक कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिल पा रहे हैं। ऐसे में जो सबसे जरूरी है वह समाज की मानसिकता में बदलाव की है। दूसरा यह कि हम नई पीढ़ी को जो परोस रहे हैं उसमें बदलाव की आवश्यकता है। घर-घर में टेलीविजन की पहुंच और उनमें टीआरपी के चलते द्विअर्थी संवादों से भरे सीरियलों, शादी ऐसे जैसे कपड़े बदलते हैं या आए दिन ब्वॉय फ्रैण्ड बदलने या साजिशों से भरे सीरियलों के चलते मानसिकता कुंठित होना स्वाभाविक है। इसके साथ ही टीवी चैनलों पर क्राइम को लेकर जिस तरह के एपिसोड दिखाए जाते हैं वे भी क्राइम की और धकेलने में अपनी भूमिका निभाते हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि आधुनिकता के नाम पर हमारा रहन-सहन, जीवन शैली, खानपान सबकुछ प्रदूषित हो रहा है। अब तो लिव इन का कंस्पेट आ गया है जो मर्जी से साथ रहते-रहते कब जबरदस्ती में बदल जाता है, यह छुपा नहीं है। हनी ट्रैप के मामले भी सभी के सामने हैं। ऐसे में जो हालात देखने को मिल रहे हैं वह भयावह होंगे ही।

एक बात साफ हो जानी चाहिए कि सरकार के भरोसे कुछ अधिक नहीं हो सकता। जरूरी है समाज में परिष्कार की। इसके लिए प्रतिक्रियावादियों, समाजसेवियों, गैरसरकारी संगठनों और राजनीतिक दलों को एक स्तर से ऊंचे उठकर लोगों में जागरुकता पैदा करनी होगी। समझ पैदा करनी होगी। सामाजिक संबंधों को नए सिरे से परिभाषित करना होगा तभी जाकर कुछ समाधान मिल सकता है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

Share:

पाकिस्तान में मौलाना की हत्या, इमरान ने भारत पर लगाया आरोप

Sun Oct 11 , 2020
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के कराची में बाइक सवार बदमाशों ने एक प्रभावशाली सुन्नी मौलाना आदिल खान की गोली मारकर हत्या कर दी है। उनकी हत्या की हर तरफ आलोचना हो रही है। देश में इस घटना को शिया और सुन्नी समुदाय के बीच हिंसा भड़काने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। वहीं इसे […]
सम्बंधित ख़बरें
खरी-खरी
सोमवार का राशिफल
मनोरंजन
अभी-अभी
Archives

©2024 Agnibaan , All Rights Reserved