उज्जैन। नगर निगम की आर्थिक हालत कोरोना काल में डगमगाई हुई है। खर्च कम करने के लिए कई प्रयास हो रहे हैं लेकिन इसके बावजूद 20 साल पुरानी भंगार हो चुकी क्रेनों का नगर निगम हर महीने 2 लाख किराया चुका रहा है। हालांकि इसका उपयोग यातायात विभाग कर रहा है।
शहर की यातायात व्यवस्था दुरुस्त रखने वाले यातायात विभाग के पास अपनी खुद की के्रन नहीं है। पिछले 20 सालों से इसकी व्यवस्था नगर निगम कर रहा है। नगर निगम भी सालों से सिर्फ एक ही व्यक्ति से पुरानी क्रेनें हर साल ठेका बढ़ाकर चलवा रहा है। मौजूदा 5 क्रेन ऐसी हैं जो 20 साल पुराने चेचिस पर कसी हुई हैं। यह क्रेनें बाजार में आवश्यकता पडऩे पर मोटर सायकल तक ढंग से नहीं उठा पाती। इधर नगर निगम की आर्थिक हालत पिछले 6 महीने से बेहद खराब हो गई है। कोरोना काल में बड़े अधिकारी खर्च कटौती पर जोर दे रहे हैं। इसके बावजूद नगर निगम भंगार हो चुकी 5 क्रेनों का हर महीने 2 लाख किराया दे रहा है। इधर यातायात विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नई खरीदने के लिए बजट नहीं हैं। लगभग साढ़े 6 लाख से ज्यादा आबादी वाले धार्मिक शहर उज्जैन में सालों से यातायात व्यवस्था सुधर नहीं पा रही है। तंग गलियों और संकीर्ण सडक़ों वाले प्रमुख बाजारों के कारण पुराने शहर में तो हमेशा से ही यातायात अवरूद्ध होने की समस्या रही है। कुछ मार्गों को यातायात विभाग काफी समय से एकांकी मार्ग घोषित कर चुका है लेकिन इसका पालन होता कभी नजर नहीं आया।
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