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    70 % फीस की राशि का भुगतान नहीं हुआ तो स्कूल संचालकों ने इस बार बच्चों को एडमिशन देने में रुचि नहीं दिखाई

  • October 09, 2020

    • कांग्रेसियों के सामने शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने ही सरकार की खामियों की पोल खोली
    • मामला आरटीई के तहत स्कूलों में बच्चों के एडमिशन का

    इन्दौर। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने कल कांग्रेसी नेताओं के सामने अपने ही विभाग की खामियों की पोल उजागर कर दी। विभाग के अधकारियों का कहना है कि केंद्र सरकार से अनिवार्य शिक्षा अधिनियम के तहत (आरटीई) स्कूलों को अब तक 70 प्रतिशत की राशि का भुगतान फीस को लेकर नहीं किया गया है, जिसको लेकर इस बार स्कूल संचालकों ने अपने स्कूलों में बच्चों को एडमिशन देने में ज्याादा रुचि नहीं दिखाई।
    दरअसल आरटीई के तहत निजी स्कूलों में एडमिशन को लेकर कल कांग्रेस ने शिक्षा विभाग और निजी स्कूलों पर गंभीर आरोप लगाते हुए यह कहा था कि इस बार कोरोना वायरस की आड़ लेकर स्कूलों ने 15 हजार से अधिक बच्चों को अपने स्कूलों में आरटीई के तहत एडमिशन नहीं दिया। बच्चों के पालक एडमिशन के लिए अभी भी इधर से उधर भटक रहे हैं। कल कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल शिक्षा विभाग के शिक्षा परियोजना अधिकारी अक्षयसिंह राठौर के अलावा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से मिलने पहुंचा और उन्हें बच्चों के एडमिशन को लेकर ज्ञापन भी सौंपा। बात-बात में ही शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने अपने ही विभाग की पोल भी उजागर कर दी। अधिकारियों का कहना था कि निजी स्कूलों को आरटीई के तहत स्कूलों को जो बच्चों का कोटा आवंटित किया गया था, उसके तहत पिछले सत्र में शहर की 851 निजी और सरकारी स्कूलों में 13998 बच्चों को एडमिशन दिया गया था। केंद्र व राज्य सरकार द्वारा आरीटीई के तहत एडमिशन के जो नियम बनाये गए हैं, उसके अनुसार बच्चों के एडमिशन के तत्काल बाद सरकार को फीस सहित अन्य खर्च की राशि का भुगतान करना होता है। स्थिति यह है कि अधिकांश स्कूलों को 2018-19 के सत्र में हुए एडमिशन की राशि का आवंटन ही अब तक नहीं हुआ है। इस बार भी केंद्र सरकार ने जो राशि का कोटा जारी किया है, उसमें मात्र तीस प्रतिशत राशि ही केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को जारी की, जबकि 70 प्रतिशत राशि रोक ली गई। राशि न मिलने के कारण ही निजी स्कूलों के संचालकों ने इस बार बच्चों को आरटीई के तहत एडमिशन देने में ज्यादा रुचि नहीं दिखाई। हालांकि कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते अभी स्कूल बंद है और ऑनलाइन बच्चों के एडमिशन के अलावा उन्हें अभी पढ़ाई कराई जा रही है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि एडमिशन के मामले में लापरवाही हुई है। मगर इस मामले में स्कूलों पर कार्रवाई करने का अधिकार प्रदेश सरकार के पास है। वहां से निर्देश मिलने के बाद ही स्कूलों को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा जा सकता है। प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता भंवर शर्मा, संजय बाकलीवाल, शैलेष गर्ग, देवेंद्रसिंह यादव, धर्मेंद्र गेंदर, अर्चना जिनवाल आदि शामिल थे।

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