इन्दौर। शहर के निजी स्कूलों ने अनिवार्य शिक्षा अधिनियम को इस बार मजाक बनाकर रख दिया है। कोरोना वायरस संक्रमण की आड़ में इस सत्र में 15 हजार के करीब बच्चे स्कूलों में एडमिशन लेने से वंचित हो गए हैं। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बच्चों के एडमिशन के लिए केंद्र सरकार ने करोड़ों रुपए की राशि आवंटित कर दी है। मगर प्रदेश सरकार ने यह राशि हडपते हुए स्कूलों को जारी नहीं की है। इस मुद्दे को लेकर शहर कांग्रेस आज शिक्षाधिकारियों का घेराव करने पहुंचेगे। साथ ही इस मामले में कोर्ट की भी शरण ली जाएगी।
उल्लेखनीय है कि हर वर्ष शिक्षा विभाग अनिवार्य शिक्षा अधिनियम (आरटीई) के तहत गरीब वर्ग के बच्चों को बड़े निजी स्कूलों मे एडमिशन दिलाता है। इसके लिए बकायदा सीटों का आवंटन होता है और लॉटरी सिस्टम से बच्चों का एडमिशन किया जाता है। बच्चों का स्कूलों में एडमिशन होने के बाद फीस सहित सारा खर्च केंद्र व राज्य सरकार द्वारा उठाया जाता है। चूंकि इस बार कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते स्कूलें नहीं खुली हैं। लिहाजा इसकी आड़ में स्कूलों ने आरटीई के तहत बच्चों को एडमिशन ही नहीं दिए हैं। शहर कांग्रेस अध्यक्ष विनय बाकलीवाल ने आरोप लगाया कि शहर के दो केंद्रीय विद्यालयों में ही नियमानुसार 160 बच्चों का एडमिशन हुआ है। वहीं शहर के अधिकांश बड़े स्कूलों में बच्चों को एडमिशन नहीं दिया है। बच्चों के पालक अभी भी एडमिशन के लिए परेशान हो रहे हैं। शहर कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता भंवर शर्मा, प्रदेश सचिव संजय बाकलीवाल ने आरोप लगाया कि आरटीई के तहत जिन बच्चों के एडमिशन स्कूलों में नहीं हुए हैं, ऐसे पीडि़त बच्चों के पालक कांग्रेस कार्यालय गांधी भवन में भी आकर अपनी पीड़ा बताते हुए शिकायत दर्ज करा चुके हैं। कांग्रेस का आरोप है कि एक अनुमान के मुताबिक अब तक 15 हजार के करीब बच्चे एडमिशन से वंचित रहे हैं। यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है। इस मुद्दे को लेकर आज शाम चार बजे कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल शिक्षा विभाग के मुख्य समन्वयक अक्षतसिंह राठौर से मुलाकात करेगा और उन्हें मुख्य सचिव के नाम ज्ञापन सौंपेगा। साथ ही बच्चों को नियमानुसार एडमिशन स्कूलों में हों। इसको लेकर कांग्रेस एक जनहित याचिका भी हाईकोर्ट में दर्ज करने जा रहा है।
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