इंदौर। प्रदेश के 14 पारंपरिक विश्वविद्यालयों में से आठ में रजिस्ट्रार का पद प्रोफेसर संभाल रहे हैं, जबकि उच्च शिक्षा विभाग के नियमानुसार 25 फीसदी रजिस्ट्रार के पद ही प्रतिनियुक्ति से भरे जा सकते हैं। शेष 75 फीसदी रजिस्ट्रार के पद डिप्टी रजिस्ट्रार की पदोन्नति से भरे जाने का प्रावधान है। मौजूदा स्थिति में 60 फीसदी पद प्रतिनियुक्ति से भरे गए हैं।
विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। विभाग के मंत्री मोहन यादव का कहना है कि जल्द ही विभागीय समीक्षा कर इस मामले में निर्णय लिया जाएगा। उच्च शिक्षा विभाग में डिप्टी रजिस्ट्रार से रजिस्ट्रार पद पर पदोन्नति के लिए प्रदेश में छह साल से विभागीय पदोन्नति कमेटी की बैठक (डीपीसी) नहीं हुई है। ऐसे में अब प्रदेश में सिर्फ एक ही रजिस्ट्रार एलएस सोलंकी शेष बचे हैं। उन्हें भी संस्कृत विवि में पदस्थ किया गया है। इसके बाद सीनियर डिप्टी रजिस्ट्रार एचएस त्रिपाठी को भोज मुक्त विवि में पदस्थ किया है, जबकि सीनियर डीआर आईके मंसूरी को जीवाजी विवि में पदस्थ किया गया है। शासन ने कैडर के सीनियर डिप्टी रजिस्ट्रार को छोड़कर प्रोफेसरों को जिम्मेदारी सौंपी है।
यहां प्रोफेसर बने रजिस्ट्रार
प्रशासनिक व्यवस्थाओं से दूर रहने वाले प्रोफेसरों को विश्वविद्यालयों में रजिस्ट्रार बनाकर बैठाया है। इसमें जीवाजी विवि में प्रो. आनंद मिश्रा, छतरपुर विवि में प्रो. पुष्पेंद्र पटेरिया, छिंदवाड़ा विवि छिंदवाड़ा में प्रो. एसएन मिश्रा, अवधेशप्रताप विवि रीवा में प्रो. बृजेशसिंह, चित्रकूट विवि में अभय वर्मा, महू विवि में दिनेश शर्मा और हिंदी विवि में विजयसिंह और शहडोल विवि में विनयसिंह को पदस्थ किया है। वहीं सुनील खरे, डॉ. सुनीता देवरी और स्वाति वशिष्ठ डिप्टी रजिस्ट्रार हैं, लेकिन वर्तमान में तीनों प्रतिनियुक्ति पर अन्य विभागों में पदस्थ हैं।
यहां डिप्टी रजिस्ट्रार को दिया प्रभार
बरकतउल्ला विश्वविद्यालय (भोपाल), भोज मुक्त विश्वविद्यालय (भोपाल), देवी अहिलय विश्वविद्यालय (इंदौर) , रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर), विक्रम विश्वविद्यालय (उज्जैन) में डिप्टी रजिस्ट्रार प्रभारी रजिस्ट्रार के रूप में काम कर रहे हैं।
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