नई दिल्ली। रूस की तरह आधे एशिया और आधे यूरोप में आने वाले देशों अर्मेनिया और अजरबैजान के बीच जारी युद्ध में अजरबैजान को भारी नुकसान हुआ है। इस युद्ध में उसके 3 हजार लोगों की मौत की बात सामने आ रही है।
घोषित रिपब्लिक ऑफ आर्तसख के राष्ट्रपति के प्रेस सेक्रेटरी ने शनिवार को यह दावा किया कि इंटेलिजेंस डाटा के मुताबिक हमारे 3 हजार सर्विसमैन मारे गए हैं। कई बॉडीज ऐसी जगह पर हैं, जहां से उन्हें ट्रांसपोर्टेशन करके भी नहीं लाया जा सकता। दरअसल, ये पूरी जंग 4400 वर्ग किलोमीटर के नागोर्नो काराबाख इलाके पर कब्जे को लेकर हो रही है। नागोर्नो काराबाख को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अजरबैजान का हिस्सा माना जाता है लेकिन इस पर अर्मेनिया के जातीय गुटों ने कब्जा कर रखा है। तनाव 2018 में शुरू हुआ था, जब दोनों देशों की सेनाओं ने बॉर्डर से सटे इलाके में अपनी सैनिकों की संख्या बढ़ा दी थी। अब ये तनाव युद्ध का रूप ले चुका है। यूरोप के कई देशों ने दोनों देशों से शांति की अपील की है।
मौजूदा वक्त में ये इलाके यूं तो अज़रबैजान में पड़ते हैं, लेकिन यहां अर्मेनिया के हिस्से के लोग अधिक हैं। ऐसे में अर्मेनिया की सेना ने इसे अपने कब्जे में लिया हुआ है। करीब चार हजार वर्ग किमी का ये पूरा इलाका पहाड़ी है, जहां तनाव की स्थिति बनी रहती है। 1991 में नागोर्नो के लोगों ने इस हिस्से को अजरबैजान से स्वतंत्र घोषित करते हुए अर्मेनिया का हिस्सा बना लिया था तब से दोनों देशों के बीच यह विवाद बना हुआ है और संघर्ष होते रहे हैं।
प्रथम विश्व युद्ध के बाद साल 1918 और 1921 में अर्मेनिया और अजरबैजान आजाद हुए थे। ये दोनों ही देश 1922 में सोवियत यूनियन का हिस्सा बन गए थे। रूस के नेता जोसेफ स्टालिन ने अजरबैजान के एक हिस्सों को अर्मेनिया को दे दिया था जो पहले अजरबैजान के कब्जे में था। तभी से दोनों देशों के बीच यह विवाद बना हुआ है।
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