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    4 हजार करोड़ की सम्पत्तियों के सौदे हो गए कोरोना काल में

  • October 03, 2020

    • इंदौर का जमीनी कारोबार उबरने लगा मंदी से
    • 380 करोड़ से ज्यादा कमाए पंजीयन विभाग ने 33 हजार रजिस्ट्रियों से

    इंदौर। कोरोना के चलते हर तरह का कारोबार चौपट हुआ है। वहीं अब धीरे-धीरे गाड़ी पटरी पर आने भी लगी हैे, जिसका सबूत यह है कि जीएसटी कलेक्शन भी बढ़ गया और अचल सम्पत्तियों के कारोबार में भी अच्छी तेजी अभी और आने वाले दिनों में बताई जा रही है। दरअसल शेयर मार्केट के धराशायी होने और ब्याज-बट्टे सहित अन्य कारोबार के चौपट होने के चलते अब लोग फिर से जमीनों में निवेश करने लगे और यूजर मार्केट यानी उपयोग करने वालों की संख्या तो बढ़ ही रही है। इंदौर में कोरोना काल के चलते 4 हजार करोड़ रुपए से अधिक के जमीनी सौदे मूर्त रूप ले पाए। यानी उनकी रजिस्ट्रियां भी हो गई। पंजीयन विभाग ने 33 हजार से अधिक रजिस्ट्रियों के जरिए 380 करोड़ रुपए से अधिक कमा लिए हैं। अभी सितम्बर में तो गत वर्ष की तुलना में 1 करोड़ रुपए अधिक राजस्व आया।

    इंदौर का जमीनी कारोबार पिछले 3-4 वर्षों से लगातार मंदी का शिकार रहा, जिसकी शुरुआत नोटबंदी से हुई और उसके बाद जीएसटी व अन्य प्रावधानों के चलते लगातार कमजोर होता रहा, लेकिन उसके बाद धीरे-धीरे फिर जमीनी कारोबार की गाड़ी भी पटरी पर आने लगी है और इंदौर में ही अभी बीते 2 महीने से अचल सम्पत्तियों का कारोबार बेहतर चल रहा है, अगर इसकी तुलना अन्य तरह के कारोबार से की जाए। इसका एक कारण यह भी है कि शेयर मार्केट में मंदी, ब्याज-बट्टे का काम भी लोगों ने अब कम कर दिया है और अन्य तरह के कारोबार भी अभी नहीं चल रहे हैं और कोरोना संक्रमण के चलते लोग नए सिरे से कोई धंधा शुरू भी नहीं करना चाहते, जिसके चलते अचल सम्पत्तियों में ही अधिक निवेश सुरक्षित लग रहा है। इसमें भी 30 से 40 लाख रुपए कीमत की सम्पत्ति, जिनमें फ्लेट, भूखंड शामिल हैं की मांग ज्यादा है। वहीं निम्न और मध्यमवर्गी लोगों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना से लेकर अन्य योजनाओं में बनाए गए मकानों-भूखंडों में भी पूछ-परख है। सितम्बर के महीने में तो गत वर्ष की तुलना में अधिक रजिस्ट्रियां हुई हैं, जबकि इस दौरान पितृ पक्ष भी था, जिसमें माना जाता है कि लोग कम रजिस्ट्रियां करवाते हैं, लेकिन शासन ने 2 प्रतिशत ड्यूटी कम की, उसका भी असर हुआ और उसके बाद से भी रजिस्ट्रियां तेजी से होने लगी। औसतन 500 से अधिक रजिस्ट्रियां सितम्बर के अंतिम दिनों में ही हुई है। वरिष्ठ जिला पंजीयक बालकृष्ण मोरे के मुताबिक सितम्बर के महीने में ही 84 करोड़ रुपए का राजस्व मिला है और पंजीबद्ध दस्तावेजों की संख्या 9 हजार के लगभग रही है, जो कि गत वर्ष से ज्यादा है। अभी तक साढ़े 12 प्रतिशत स्टाम्प ड्यूटी कलेक्टर गाइड लाइन के आधार पर लग रही थी, जो कि अब घटकर 10.5 प्रतिशत हो गई है। पंजीयन विभाग ने 381 करोड़ रुपए का राजस्व अभी 30 सितम्बर तक अर्जित किया, उसी के मान से 4 हजार करोड़ रुपए से अधिक के सौदे हो गए हैं। हालांकि कई जगह कलेक्टर गाइड लाइन से दो गुनी कीमत भी है। इस साल अप्रैल और मई में कोरोना के चलते रजिस्ट्रियां नहीं हुई। जून से शुरुआत की गई। उसके बाद से पंजीयनों की संख्या बढ़ती रही। मई में 390 दस्तावेजों के पंजीयन से विभागों को सवा 9 करोड़ रुपए का राजस्व मिला, तो मई में 6771 रजिस्ट्रियों से 104 करोड़ कमाए। जून माह में 9203 रजिस्ट्रियों से 93.92 करोड़, तो जुलाई में 7852 रजिस्ट्रियों से 88 करोड़ 77 लाख रुपए मिले। वहीं अभी सितम्बर में यह संख्या बढ़कर 8842 रजिस्ट्रियों की हो गई और लगभग 84 करोड़ प्राप्त हुए। सम्पत्ति कारोबारियों का मानना है कि अभी दो-तीन महीने का समय भी अच्छा रहेगा और उसके बाद भी तेजी बरकरार रह सकती है।

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