भोपाल। मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल अंचल में चुनावी जीत में जातीय समीकरणों की प्रमुख भूमिका रहती है। उपचुनाव में भी यह समीकरण अहम हैं। बसपा इस अंचल की सीटों पर चुनाव लडऩे की घोषणा कर चुकी है। ऐसे में मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना हैं कि 10 से अधिक विधानसभा सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला भाजपा के लिए फायदे का सौदा हो सकता है। वहीं, जातीय समीकरणों को भाजपा अपने अनुकूल मान रही है। गौरतलब है कि ग्वालियर-चंबल में 16 सीटों पर उपचुनाव होने हैं। भाजपा और कांग्रेस, दोनों के ही नेता जातीय समीकरणों को साधने में जुटे हैं। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जाति (अजा) वर्ग के वोटर का मूड भांपने में भाजपा चूक कर गई थी। इससे अंचल में भाजपा को 13 सीटों का नुकसान हुआ था। कांग्रेस प्रदेश में सरकार बनाने में सफल हो गई। उपचुनाव में भाजपा की जातीय समीकरणों पर पूरी नजर है। भाजपा भिंड-मुरैना में सामान्य वर्ग के साथ पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाताओं को साधने में लगी है।
एट्रोसिटी एक्ट ने भाजपा के समीकरणों को गड़बड़ा दिया
ग्वालियर की पूर्व विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाता उसकी चिंता का विषय बने हुए हैं। दरअसल, एट्रोसिटी एक्ट ने भाजपा के समीकरणों को गड़बड़ा दिया है। कांग्रेस से लंबे समय से नाराज चल रहा अजा वर्ग का मतदाता कोई विकल्प सामने न होने से कांग्रेस के साथ ही चला गया। इसका प्रमाण ग्वालियर पूर्व विधानसभा सीटे के नतीजे हैं। यहां कांग्रेस उम्मीदवार मुन्नालाल गोयल भाजपा की परंपरागत सीट पर 2009 व 2013 के विधानसभा चुनाव में एक से दो हजार मतों से हारे थे। दलित आंदोलन के बाद हुए विधानसभा चुनाव में मुन्नालाल गोयल ने भाजपा के सतीश सिकरवार को 17 हजार से अधिक मतों से हरा दिया। इसी तरह कांग्रेस से इमरती देवी व प्रद्युम्न सिंह रिकार्ड मतों से जीते। मुरैना जिले की सभी सीटें कांग्रेस की झोली में चली गई। भांडेर व गोहद (अजा) सीट पर कांग्रेस का कब्जा हो गया।
भाजपा ने पौने दो साल में अजा वर्ग की नाराजगी को दूर करने का काफी प्रयास किया है। भाजपा के रणनीतिकार अंचल की 10 से अधिक विधानसभा सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले को अपने लिए फायदे का सौदा मान रहे हैं। भांडेर में बसपा उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस के बागी पूर्व गृह मंत्री महेंद्र सिंह बौद्ध के चुनाव में उतर आने से भाजपा को काफी राहत मिली है। जातीय समीकरणों को साधने की भाजपा के साथ कांग्रेस भी कोशिश कर रही है।
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