नई दिल्ली। रिलायंस जियो में बड़ा निवेश करने के बाद अब अमेरिकन प्राइवेट इक्विटी फर्म जनरल अटलांटिक RRVL में 3675 करोड़ रुपये निवेश करेगी। इसके बदले में कंपनी को रिलायंस रिटेल में 0.84 फीसदी हिस्सेदारी मिलेगी। इस महीने की शुरुआत में दुनिया की दिग्गज टेक इन्वेस्टर कंपनी सिल्वर लेक ने भी रिलायंस रिटेल में 7500 करोड़ रुपये निवेश करने का ऐलान किया। इसके बदले में कंपनी को रिलायंस रिटेल में 1.75 फीसदी हिस्सेदारी मिली है। वहीं, अमेरिकी कंपनी KKR ने Reliance Retail में 1.75 फीसदी हिस्सेदारी 5550 करोड़ रुपये में खरीदी है। RRVL की सहायक कंपनी रिलायंस रिटेल लिमिटेड भारत के सबसे तेजी से बढ़ रहे रिटेल बिजनेस का संचालन करती है।
RIL-General Atlantic Deal- रिलायंस रिटेल में जनरल अटलांटिक 0.84 फीसदी हिस्सेदारी 3675 करोड़ रुपये में खरीदेगी। जनरल अटलांटिक ने रिलायंस रिटेल में 4.28 लाख करोड़ रुपये की वैल्युएशन पर निवेश किया है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर मुकेश अंबानी ने कहा, हमे जनरल अटलांटिक के साथ अपने रिलेशन को आगे बढ़ाने की बहुत खुशी है। क्योंकि हम व्यापारियों और उपभोक्ताओं दोनों को समान रूप से सशक्त बनाने और अंततः भारतीय रिटेल को बदलने की दिशा में काम कर रहे हैं। रिलायंस रिटेल की तरह, जनरल अटलांटिक भारत और दुनिया भर में प्रगति, विकास और समावेशन के लिए डिजिटल सक्षमता की मौलिक क्षमता में विश्वास करता है।
जनरल अटलांटिक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बिल फोर्ड ने कहा, “जनरल अटलांटिक देश के खुदरा क्षेत्र में पर्याप्त सकारात्मक बदलाव लाने के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज के नए वाणिज्य मिशन का समर्थन करने के लिए उत्साहित है।
देश के संगठित रिटेल कारोबार में रिलायंस ने 2006 में कदम रखा था। सबसे पहले इस कंपनी ने हैदाराबद में रिलायंस फ्रेश स्टोर खोला था। कंपनी का आइडिया था कि वो नजदीकी बाजार से ग्राहकों को ग्रोसरीज और सब्जियां उपलब्ध कराए। 25,000 करोड़ रुपये की शुरुआत से कंपनी कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, फार्मेसी और लाइफस्टाइल प्रोडक्ट्स उपलब्ध कराना शुरू किया। इसके बाद कंपनी ने इलेक्ट्रॉनिक्स, फैशन और कैश एंड कैरी बिजनेस में भी कदम रखा।
इलेक्ट्रॉनिक रिटेल चेन को कंपनी ने 2007 में लॉन्च किया था। इसके बाद 2008 और 2011 में रिलायंस ने फैशन और होलसेल बिजनेस में रिलायंस ट्रेंड्स और रिलायंस मार्केट के जरिए कदम रखा। 2011 तक रिलायंस रिटेल की सेल्स के जरिए कमाई 1 अरब डॉलर के पार पहुंच गई थी। रिलायंस रिटेल की नजर लाखों ग्राहकों और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) को सशक्त बनाने और पसंदीदा साझेदार के रूप में वैश्विक और घरेलू कंपनियों के साथ मिलकर काम करते हुए भारतीय खुदरा क्षेत्र को फिर से संगठित करने पर है।
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