नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा उपचुनाव को लेकर चुनाव आयोग मंगलवार को औपचारिक ऐलान कर सकता है। चुनाव आयोग की 29 सितंबर को होने वाली बैठक में मध्य प्रदेश की 28 सीटों पर होने वाले उप चुनाव की तारीखों का ऐलान हो सकता है। यह चुनाव शिवराज सिंह चौहान के सियासी भविष्य के साथ-साथ कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम कमलनाथ के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है। ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस दोनो ही पार्टियां पूरा जोर लगा रही हैं।
इन 28 सीटें पर उपचुनाव
मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हैं। इन 28 में 25 सीटें कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के बाद खाली हुई हैं जबकि 3 सीटें विधायकों के निधन के चलते रिक्त हुई हैं। सुमावली, मुरैना, दिमनी अंबाह, मेहगांव, गोहद, ग्वालियर, ग्वालियर पूर्व, डबरा, भांडेर, करेरा, पोहरी, बामोरी, अशोकनगर, मुंगावली, सुरखी, सांची, अनूपपुर, सांवेर, हाटपिपल्या, सुवासरा, बदनावर, आगर-मालवा, जौरा, नेपानगर, मलहारा, मंधाता और ब्यावरा में उपचुनाव हैं।
कांग्रेस के 25 विधायकों का इस्तीफा
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में 28 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव होने हैं। इनमें से 22 विधायकों ने इसी साल 10 मार्च को कांग्रेस से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया था, जिसके चलते कमलनाथ सरकार को सत्ता से बेदखल होना पड़ा था। इसके बाद 12 जुलाई को बड़ा मलहरा से कांग्रेस विधायक प्रद्युम्न सिंह लोधी और 17 जुलाई को नेपानगर से कांग्रेस विधायक सुमित्रा देवी कसडेकर ने भी कांग्रेस छोड़ बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। वहीं, 23 जुलाई को मांधाता से कांग्रेस विधायक ने भी शिवराज सिंह चौहान के शरण में चले गए। इस तरह से 25 सीटें रिक्त हुई हैं जबकि दो विधायकों का निधन हो जाने से सीटें खाली हैं।
कांग्रेस ने घोषित किए उम्मीदवार
उपचुनाव वाली सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक दी है। कांग्रेस ने 28 में से 24 सीटों के लिए उम्मीदवार भी घोषित कर दिए हैं। वहीं, बीएसपी ने भी 8 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं जबकि बीजेपी ने अभी तक उम्मीदवारों के नाम का ऐलान नहीं किया है। हालांकि, यह माना जा रहा है कि 28 में से 25 सीटों पर कांग्रेस से आए नेताओं को ही बीजेपी अपना उम्मीदवार बनाएगी। इसके लिए बीजेपी ने उन्हें चुनाव लड़ने की हरी झंडी भी दे दी है।
शिवराज के मंत्रियों की अग्निपरीक्षा
ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए 22 में से 14 नेताओं को शिवराज मंत्रिमंडल में जगह मिली है। सिंधिया समर्थक तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को शिवराज कैबिनेट में अप्रैल में ही शामिल कर लिया गया था। इसके अलावा 12 नेताओं को बाद में मंत्री बनाया गया था, जिनमें 7 कैबिनेट और 5 राज्य मंत्री बनाए गए। इनमें महेंद्र सिंह सिसोदिया, प्रभुराम चौधरी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी, बिसाहू लाल सिंह, एंदल सिंह कंसान, राज्यवर्धन सिंह को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है जबकि, ओपीएस भदौरिया, गिरिराज दंडोतिया, सुरेश धाकड़ और बृजेंद्र सिंह यादव को राज्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई है। शिवराज के इन सभी मंत्रियों को अपनी कुर्सी को बचाए रखने के लिए उपचुनाव जीतना जरूरी है, नहीं तो उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है।
मध्य प्रदेश में विधानसभा में सदस्यों की कुल संख्या 230 है, जिनमें से 28 सीट खाली है। मौजूदा वक्त में बीजेपी के पास 107, कांग्रेस के पास 88, बसपा के पास 2, सपा के 1 और निर्दलीय 4 विधायक हैं। उपचुनाव के बाद किसी भी दल को सत्ता में बने रहने के लिए 116 विधायकों की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में बीजेपी को सत्ता में बने रहे के लिए कम से कम 9 विधायकों की जरूरत होगी जबकि कांग्रेस के सामने सभी 28 सीटें जीतने की चुनौती है। ऐसे में दोनों ही दल चुनाव में जीत के लिए हरसंभव कोशिश में जुटे हैं। शिवराज सिंह अपनी सत्ता को बरकरार रखने की जद्दोजहद कर रहे हैं तो कमलनाथ दोबारा से सत्ता में वापसी के लिए हाथ-पांव मार रहे हैं।
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