भोपाल। इस बार शक्ति की उपासना का नौ दिनी पर्व शारदीय नवरात्र की शुरुआत 17 अक्टूबर से होगी। इस बार कोरोना संक्रमण के चलते शक्ति की उपासना के पर्व में सादगी का रंग घुलेगा। गरबा उत्सव समितियां न बड़े-बड़े जगमगाते पंडाल सजाएंगी, न ही माता की मनोहारी बड़ी मूर्तियां विराजित की जाएंगी। प्रशासन के निर्देशानुसार 6 फीट की प्रतिमा विराजित कर शारीरिक दूरी के साथ दर्शन की व्यवस्था की जाएगी। तुलसी नगर व्यापारी संघ अबकी बार कोरोना संक्रमण और गृह विभाग की गाइड लाइन के अनुसार छोटे स्तर पर दुर्गोत्सव का आयोजन करेगा। इसके चलते जो राशि बचेगी, उससे सरकारी स्कूल की कन्याओं के लिए ड्रेस और पुस्तकें खरीदी जाएंगी। यह निर्णय व्यापारी संघ की बैठक में हुआ। बैठक में व्यापारी रामेश्वर गजभिये को दो वर्ष के लिए अध्यक्ष चुना गया। अध्यक्ष गजभिये ने बताया कि हर वर्ष सेकंड स्टॉप मार्केट में मां दुर्गा की मूर्ति की स्थापना की जाती है। चूंकि, अबकी बार कोरोना का प्रकोप है और सरकार ने गाइड लाइन भी तय कर दी है। इसलिए दुर्गोत्सव का स्वरुप छोटा हो जाएगा। हर वर्ष डेढ़ लाख रुपये खर्च होते थे, किंतु अबकी बार खर्च आधा ही होगा। इसलिए जो राशि बचेगी, वह कन्याओं पर ही खर्च करेंगे। नवरात्र के अंतिम दिन कन्या भोज का आयोजन तो होगा, किंतु बैठाकर भोजन प्रसादी न कराते हुए कन्याओं को भोजन के पैकेट दिए जाएंगे।
दुर्गा उत्सव की गाइडलाइन को लेकर सौंपा ज्ञापन
दुर्गोत्सव पर्व के लिए जारी की गई गाइडलाइन में संशोधन करने की मांग को लेकर गुरुवार को श्री हिंदू उत्सव समिति के अध्यक्ष कैलाश बागवानी ने कलेक्टर अविनाश लवाणिया को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन के माध्यम से बताया किप्रशासन द्वारा जो गाइडलाइन जारी की गई है वह न्यायसंगत नहीं है। मूर्तिकारों ने पूर्व में ही 10-10 फुट की दुर्गा जी की प्रतिमाएं बना ली थीं, लेकिन गाइडलाइन देर से जारी हुई। प्रतिमा की ऊंचाई 6 फुट से ज्यादा नहीं होनी चाहिए, जिसके चलते मूर्तिकारों को बड़ा नुकसान हो रहा है। ज्ञापन में लिखा गया कि प्रतिमा की ऊंचाई 10 फुट की जाए, ताकि मूर्तिकारों का नुकसान न हो। इसके अलावा झांकियों के पंडाल का साइज 10 बाय 10 से बढ़ाकर 20 बाय 20 किया जाए, दुर्गा पूजा के समय 150 लोगों को शामिल करने की अनुमति हो।
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