नई दिल्ली। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से खुदरा कारोबारियों के लिए आर्थिक पैकेज घोषित करने की मांग की है। कैट ने मोदी को एक ज्ञापन भेजकर कहा कि है कि कोरोना काल में में अर्थव्यवस्था का हर क्षेत्र प्रभावित हुआ है। इससे देश के छोटे और खुदरा कारोबारी भी अछूते नहीं हैं। कारोबारी संगठन का कहना है कि यदि सरकार की ओर से इन्हें कोई आर्थिक पैकेज नहीं मिला तो देशभर में लगभग 1.75 करोड़ दुकानों का शटर डाउन हो जाएगा।
खुदरा कारोबार में सुधार जरूरी
कारोबारी संगठन ने प्रधानमंत्री को भेजे एक ज्ञापन में आग्रह किया कि तेजी से परिवर्तित हो रहे व्यापार के तौर-तरीकों को देखते हुए देश के रिटेल व्यापार में अनेक सुधार की जरूरत है। इससे ही रिटेल व्यापार व्यवस्थित रूप से चलेगा। कैट का कहना है कि सरकार ऐसी व्यवस्था करे, जिससे व्यापारियों को सुविधाएं मिले। इससे करदाताओं का दायरा बढ़ेगा और सरकार के राजस्व में वृद्धि होगी।
40 करोड़ लोगों को मिलता है रोजगार
प्रधानमंत्री को भेजे ज्ञापन में कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि देशभर में करीब 7 करोड़ व्यापारी लगभग 40 करोड़ लोगों को रोज़गार देते हैं। ये व्यापारी हर साल लगभग 60 लाख करोड़ रुपये का कारोबार करते हैं। इतना होते हुए भी अर्थव्यवस्था का यह महत्वपूर्ण सेक्टर सदा से ही उपेक्षा का शिकार रहा है। खंडेलवाल ने कहा कि यदि भारत को वर्ष 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचना है तो इस सेक्अर को मजबूत करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि कोरोना से प्रभावित हर सेक्टर को केंद्र सरकार ने वित्तीय पैकेज दिया, लेकिन 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज में व्यापारियों के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया।
व्यापारियों को लेना होता 28 तरह का लाइसेंस
खंडेलवाल का कहना है कि देश का खुदरा व्यापार नियंत्रित करने के लिए इस वक्त तरह-तरह के कानून हैं। इनमें से कई कानून तो अंग्रेजों के जमाने के हैं। उन्होंने कहा कि आज की तारीख में इन कानूनों की प्रासंगिकता समाप्त हो गई है। खंडेलवाल ने ऐसे सभी कानूनों की समीक्षा के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया जाए। उन्होंने कहा कि इस समय व्यापार करने के लिए 28 से भी अधिक लाइसेंस लेना पड़ता है। इसे खत्म कर एक लाइसेंस लेने की व्यवस्था हो।
कैट महामंत्री ने सरकार को यह सुझाव दिया कि खुदरा व्यापार में काम कर रहे व्यापारियों का सही आंकड़ा को जानने के लिए शॉप एंड इस्टैब्लिशमेंट कानून में सभी व्यापारियों का पंजीकरण अनिवार्य किया जाए और उन्हें एक भी नंबर दिया जाए, जो नंबर हर जगह देना अनिवार्य हो। खंडेलवाल ने मुद्रा योजना को अत्यंत प्रभावी बताते हुए कहा की अभी भी बड़ी संख्यां में देशभर के व्यापारियों को बैंकों की लालफीताशाही और असहयोगात्मक रवैय्ये के कारण मुद्रा लोन नहीं मिल पाता है।
प्रधानमंत्री को भेजे ज्ञापन में कैट ने कहा है कि आयकर में कॉर्पोरेट सेक्टर के लिए 22 फीसदी का कर स्लैब है, जबकि छोटे व्यापारियों के लिए 30 फीसदी का कर स्लैब हैं जो बड़ी विसंगति है। सरकार छोटे एवं खुदरा कारोबारियों को भी 22 फीसदी के कर स्लैब के अंतर्गत लाए। खंडेलवाल ने सरकार से मांग की है कि दिल्ली के व्यापारियों को सीलिंग से बचाने के लिए एक एमनेस्टी स्कीम को लाया जाए और 31 दिसंबर 2020 तक दिल्ली में जो दुकान है, उनको आम माफी देकर एक जायज चार्ज लेकर ऐसी सभी दुकानों को नियमित किया जाए। (एजेंसी, हि.स.)
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