भोपाल। केन-बेतवा लिंक परियोजना को लेकर केंद्र सरकार, मप्र एवं उप्र सरकार के मंत्री एवं अधिकारियों की बहुप्रतीक्षित बैठक वीडियो कॉफ्रेंस के माध्यम से हुई। जिसमें दोनों राज्यों के बीच पानी के बंटवारे को लेकर जारी विवाद को दूर करने पर चर्चा हुई। हालांकि वीडियो कॉफ्रेंस में दोनों राज्यों में पानी की हिस्सेदारी पर सहमति नहीं बनी है। जल्द ही मुख्यमंत्रियों की बैठक में इस पर फैसला होगा। मप्र जल-संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और उत्तरप्रदेश के जल-संसाधन मंत्री डॉ महेंद्र सिंह वर्चुअल बैठक में शामिल हुए। केन्द्रीय जल-संसाधन मंत्री शेखावत ने कहा कि परियोजना की लागत लगभग 45 हजार करोड़ रुपये आयेगी, जिसका 90 प्रतिशत व्यय केन्द्र सरकार द्वारा वहन किया जायेगा। शेखावत ने कहा कि परियोजना के क्रियान्वयन के लिये केन्द्रीय प्राधिकरण का गठन किया जायेगा, जो राज्यों के बीच जल और बिजली के बटवारे के लिये आवश्यक कार्य करेगा। उन्होंने मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के मंत्रियों को दो दिवस में कार्य-योजना केन्द्र को भेजने के निर्देश दिये हैं।
मीटिंग में परियोजना के संबंध में प्रजेंटेशन प्रस्तुत किया गया। साथ ही पूर्व में तैयार की गई डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) पर भी चर्चा की गई। बैठक में बताया गया कि परियोजना के पूर्ण होने पर दोनों राज्यों को प्रतिवर्ष 10 हजार करोड़ रुपये का लाभ मिलेगा।
इससे बुंदेलखण्ड के 17 से अधिक जिलों में पानी की समस्या का जहाँ एक ओर हल निकलेगा, वहीं दूसरी ओर क्षेत्र के किसानों को सिंचाई के लिये भी पानी उपलब्ध हो सकेगा। केन-बेतवा लिंक परियोजना से 78 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। लगभग 4 लाख 47 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई के लिये पानी उपलब्ध हो सकेगा। उत्तर प्रदेश को रबी मौसम में 700 एम.सी.एम. पानी उपलब्ध हो सकेगा। बैठक में अपर मुख्य सचिव एस.एन. मिश्रा भी उपस्थित रहे।
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