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    कांग्रेस की मांग से राजद परेशान, दोनों के बीच बातचीत तक बंद

  • September 23, 2020

    पटना। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले विपक्ष के महागठबंधन में एक बड़ा पेंच फंस गया है। कांग्रेस ने विधानसभा की इतनी सीट मांगी है जिससे राष्ट्रीय जनता दल हैरान है। हालत यह है कि पिछले एक सप्ताह से सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों पार्टियों के बीच बातचीत तक बंद है। दोनों बड़ी पार्टियों के बीच टकराव से रालोसपा, वीआईपी जैसी पार्टियों का भविष्य भी अब अधर में लटक गया है। उधर कांग्रेस ने बिहार के प्रमुख नेताओं को दिल्ली तलब कर लिया है।

    कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि उनकी पार्टी ने राजद को साफ बता दिया है कि उसे 90 सीटें चाहिये। अपने कोटे की 90 सीटों में से कांग्रेस उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी और मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी को भी देगी । बाकी की 153 सीटें राजद अपने पास रखे और उसमें से वह वामदलों को हिस्सा दे। कांग्रेस की भारी-भरकम मांग से हैरान राजद ने फिलहाल बातचीत बंद कर दी है। कांग्रेस से जुड़े सूत्रों ने बताया कि पार्टी की ओर से बिहार के प्रभारी महासचिव शक्ति सिंह गोहिल और अविनाश पांडेय तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद से बात कर रहे थे। पिछले महीने आमने-सामने बातचीत हुई थी । बाद में टेलीफोन पर भी बातचीत हो रही थी। लेकिन तकरीबन एक सप्ताह से यह बातचीत बंद है। राजद 90 सीट की बात तो दूर कांग्रेस, रालोसपा और वीआईपी पार्टी के लिए 60 सीटों से ज्यादा देने को तैयार नही है। ऐसे में बातचीत आगे बढ़ ही नहीं रही है। कांग्रेस के एक प्रमुख नेता ने कहा कि लालू प्रसाद बार-बार कांग्रेस के साथ वादाखिलाफी कर रहे हैं। उन्होंने पहले ही कहा था कि कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में 73 सीटें देंगे। कांग्रेस उस वक्त भी राजी नहीं थी लेकिन अब राजद 60 सीट की बात करने लगा है। कांग्रेस नेता ने बताया कि लालू प्रसाद ने लोकसभा चुनाव के समय भी ऐसा ही किया था। पहले उन्होंने कांग्रेस को 11 लोकसभा सीट देने का वादा किया था लेकिन ऐन वक्त पर 7-8 सीट देने की बात करने लगे। जैसे-तैसे कांग्रेस 9 लोकसभा सीट ले सकी।

    कांग्रेस ने अपने नेताओं को दिल्ली बुलाया

    राजद से बातचीत पर ब्रेक लगने के बाद कांग्रेस ने बिहार के अपने वरिष्ठ नेताओं को दिल्ली बुला लिया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा समेत दूसरे प्रमुख नेता दिल्ली कूच कर गये हैं। पार्टी बिहार के नेताओं के साथ सारी संभावनाओं को टटोलेगी। मकसद यह भी है कि राजद को संदेश जाये कि कांग्रेस उसके बगैर भी चुनाव लड़ सकती है। इससे राजदपर दबाव बनेगा। (एजेंसी, हि.स.)

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