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एलएसी पर दो कूबड़ वाले ऊंटों से होगी गश्त, 50 ऊंटों को किया जाएगा शामिल

September 22, 2020

लद्दाख। पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर गश्त करने में सैनिकों की मदद के लिए दो कूबड़ वाले ऊंटों को जल्द भारतीय सेना में शामिल किया जाएगा। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के शोध में सामने आया है कि दो कूबड़ यानी बैक्ट्रियन ऊंट पूर्वी लद्दाख में 17 हजार फीट की ऊंचाई पर 170 किलोग्राम वजन उठा सकते हैं।

डीआरडीओ के वैज्ञानिक प्रभु प्रसाद सारंगी ने बताया, हम इन ऊंटों पर शोध कर रहे हैं। ये स्थानीय जानवर हैं। हमने इनकी सहनशक्ति और भार वहन क्षमता पर शोध किया है। ये ऊंट लद्दाख की दुर्गम जगहों पर 170 किलोग्राम वजन के साथ 12 घंटे तक गश्त कर सकते हैं।  इन स्थानीय दोहरे कूबड़ वाले ऊंटों की तुलना राजस्थान के एक कूबड़ वाले ऊंटों से की गई थी, जिन्हें उनकी सहनशक्ति परीक्षण के लिए राजस्थान ले जाया गया था। ये ऊंट भोजन और पानी के बिना तीन दिन तक जीवित रह सकते हैं। सारंगी ने आगे कहा, इन ऊंटों का परीक्षण किया जा चुका है और जल्द ही इन्हें सेना में शामिल किया जाएगा। सारंगी ने कहा, दो कूबड़ वाले ऊंटों की संख्या अभी कम है, लेकिन उचित प्रजनन के बाद इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी और फिर इन्हें सेना में शामिल किया जाएगा। भारतीय सेना पारंपरिक रूप से क्षेत्र के खच्चरों का उपयोग करती है, जो लगभग 40 किलोग्राम भार ले जाने की क्षमता रखते हैं।

सेना ने करीब तीन साल पहले करीब 10 डबल हंप कैमल लिए थे। सैन्य अधिकारियों ने बताया कि डबल हंप कैमल 170 किलो वजन उठाकर आसानी से लद्दाख की पहाडि़यों और बर्फीले मैदानों में चल सकता है। यह बिना कुछ खाए और पानी पीये बगैर करीब 72 घंटे तक रह सकता है। लेह स्थित डिफेंस इंस्टीट्यूट ने पूरा अध्ययन किया है। इसके बाद इन ऊंटों को विशेष तरह की ट्रेनिंग दी जा रही है। इस्ंटीट्यूट में रंगाली नामक एक ऊंटनी को प्रशिक्षित किया गया है। इस ऊंटनी ने दो बच्चों चिंकू और टिंकू को भी जन्म दिया है। सेना के वेटनरी आफिसर कर्नल मनोज बत्रा ने बताया कि लद्दाख में मौसम के लिहाज से डबल हंप कैमल ज्यादा कारगर हैं। यह ऊंट 170 किलो वजन लेकर 17 हजार फीट की ऊंचाई तक आसानी से चढ़ सकते हैं।

सेना को अपनी जरूरतों के लिए करीब 50 ऊंट चाहिए जो हम अगले चार से छह माह में उपलब्ध करा देंगे। कर्नल मनोज बत्रा ने बताया कि सेना लद्दाख के ऊच्च पर्वतीय इलाकों में अपनी अग्रिम चौकियों और शिविरों में साजोसामान पहुंचाने के लिए खच्चरों का इस्तेमाल करती आई है, लेकिन यह खच्चर लगभग 50-60 किलो वजन ही स्थानीय भौगोलिक परिस्थितियों में उठा सकते हैं। डबल हंप ऊंट न सिर्फ सामान उठाएगा बल्कि गश्त में भी मदद करेगा।

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