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अमेरिका ने ईरान पर फिर लगाए संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध

September 21, 2020

वॉशिंगटन । अमेरिका ने रूस, चीन और सहयोगी देशों के भारी विरोध के बावजूद ईरान पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध फिर से लगा दिए हैं। इसके साथ ही हथियारों को लेकर ईरान पर लगा पुराना प्रतिबंध मध्य अक्तूबर में खत्म नहीं होगा। इस बीच, अमेरिका ने ईरान पर इन प्रतिबंधों का विरोध करने वाले देशों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी है।

अमेरिका ने कहा कि ईरान पर 2015 में हुए परमाणु समझौते से पूर्व की तरह यूएन के प्रतिबंध लागू हो गए। इसके साथ ही ईरान की परमाणु संवर्धन गतिविधियों, बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम और परमाणु हथियार तकनीक के हस्तांतरण समेत अन्य हथियार संबंधी गतिविधियों पर प्रतिबंध लग गए। 2007 में सुरक्षा परिषद ने ईरान पर हथियारों के व्यापार को लेकर प्रतिबंध लगाया था।

इसके अलावा ईरान के परमाणु कार्यक्रम में शामिल लोगों के आने-जाने पर प्रतिबंध और उनकी संपत्ति को फ्रीज कर दिया था। 2010 में प्रतिबंध लगाया गया कि ईरान घातक हेलिकॉप्टर और मिसाइल जैसे भारी हथियार नहीं खरीद सकता है। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा, ईरान पर प्रतिबंध दुनिया में शांति और सुरक्षा की दिशा में एक कदम है। आने वाले दिनों में अमेरिका ईरान पर यूएन प्रतिबंधों को मजबूती से लागू करने के लिए अतिरिक्त उपायों को जारी करेगा। अमेरिका संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों से इन प्रतिबंधों का पालन करने की उम्मीद करता है। जो देश ऐसा नहीं करेगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

बतादें कि ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों का भारी विरोध रहा है। यहां तक कि रूस और चीन के अलावा जर्मनी, ब्रिटेन फ्रांस जैसे उसके मित्र देश भी अमेरिकी प्रतिबंधों को निरर्थक बता रहे हैं। सुरक्षा परिषद के 15 में से 13 सदस्य प्रतिबंध के खिलाफ हैं और वे इस फैसले को अमान्य ठहरा रहे हैं। राजनयिकों का भी कहना है कि कम ही देश इन प्रतिबंधों को दोबारा लगाएंगे।

वहीं, ईरान ने 2015 में अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, रूस और जर्मनी के साथ समझौता किया था। इसके मुताबिक, ईरान अपने परमाणु कार्यक्रमों को सीमित करेगा और उसके बदले उस पर लगे संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक प्रतिबंध हटाए जाएंगे। इसी समझौते के तहत हथियारों पर लगा प्रतिबंध अक्तूबर, 2018 में खत्म होना था। इससे ठीक पहले 2018 में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस समझौते से अमेरिका को अलग कर लिया था।

अमेरिका की इस कार्रवाई पर ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि विश्व बिरादरी को अमेरिकी प्रतिबंधों का विरोध करना चाहिए। यह अमेरिका की दादागिरी है, जो बंद होनी चाहिए। प्रतिबंध ईरान पर जबरन थोपने जैसे हैं। इस बीच, ईरानी सेना की रिवोल्यूशनरी गार्ड के कमांडर हुसैन सलामी ने अमेरिका के साथ युद्ध की आशंकाओं को खारिज किया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका समेत दुनिया की कोई भी ताकत ईरान पर युद्ध नहीं थोप सकती।

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