लॉस एंजेल्स । राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने महिला अधिकारों की चैम्पियन और सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति 87 वर्षीय रूथ बद्र जिंसबर्ग के निधन के तुरंत बाद एक महिला को ही नामित किए जाने की घोषणा की है। उदारवादी रूथ बद्र जिंसबर्ग की जगह एक परंपरावादी न्यायमूर्ति की नियुक्ति को लेकर रिपब्लिकन जनाधार में एकाएक उत्साह की लहर दौड़ गई है। भारत के विपरीत अमेरिका में न्यायपालिका में जजों के अवकाश ग्रहण की कोई आयु नहीं है।
रिपब्लिकन नेताओं का कथन है कि इससे राष्ट्रपति चुनाव में परंपरावादी मतदाताओं का नज़रिया बदल गया है। इस नियुक्ति से कड़े मुक़ाबले वाले प्रदेशों में परंपरावादी विचारों के जनाधार को सुदृढ़ करने का मौक़ा मिलेगा। इसके विपरीत उदारवादी डेमोक्रेट का कथन है कि कुछ सप्ताह बाद 3 नवम्बर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को ध्यान में रखते हुए ट्रम्प को इतनी जल्दबाज़ी नहीं करनी चाहिए। रिपब्लिकन को अपनी बात कहने और मनवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में शीर्ष स्तर एक मौक़ा मिला है। राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा है कि वह अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए एक सप्ताह में इस रिक्त स्थान पर नियुक्ति करने के पक्ष में हैं।
राष्ट्रपति पद के डेमोक्रैटिक उम्मीदवार जोई बाइडन ने ट्रम्प को सचेत किया है कि सुप्रीम कोर्ट में हुए रिक्त स्थान पर अब न्यायमूर्ति की नियुक्ति ३ नवम्बर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के बाद नवनिर्वाचित राष्ट्रपति को ही करनी चाहिए। अमेरिकी चुनाव में महिला अधिकारों का मुद्दा इतना बड़ा है कि दिवंगत न्यायमूर्ति रूथ बद्र ने भी कहा था कि उनके स्थान पर नियुक्ति के मामले में जल्दबाज़ी करना उचित नहीं होगा। इसके लिए नवनिर्वाचित राष्ट्रपति को ही उचित कदम उठाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति की नियुक्ति का मुद्दा शनिवार को दिन भर अमेरिकी मीडिया में छाया रहा। शनिवार की सुबह ट्रम्प की बेटी टिफ़िनी ट्रम्प ने भी ट्विट किया। उन्होंने राजनीति को बीच में लाए बिना इतना कहा है कि अमेरिका में रूथ बद्र महिला अधिकारों की पथ प्रदर्शक रही हैं। इस के लिए रिपब्लिकन समर्थक ढेरों परंपरावादी जजों के नाम सामने आ रहे है।
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