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    जानिए, क्या है कृषि बिल और क्यों हो रहा है इसका विरोध?

  • September 19, 2020

    नई दिल्ली। देश में सड़क से लेकर संसद तक कृषि बिल का विरोध हो रहा है। कृषि बिल के विरोध में विपक्ष के साथ एनडीए के घटक दल भी सामने आ गए हैं। यही नहीं इस बिल के विरोध में शिरोमणी अकाल की सांसद हरसिमरत कौर ने मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है। इस बिल का हाल फिलहाल पंजाब और हरियाणा में किसान जबर्दस्त विरोध कर रहे हैं। आइये जानते हैं आखिर इस बिल में क्या है और इसका विरोध क्यों किया जा रहा है।
    कृषि बाजार से जुड़ा बिल
    (फार्मर्स प्रड्यूस ट्रेड ऐंड कॉमर्स (प्रमोशन ऐंड फैसिलिटेशन) बिल, 2020)
    प्रावधान: रजिस्टर्ड मंडियों के बाहर भी किसान अपनी उपज बेच सकेंगे और व्यापारी किसानों से सीधी खरीद कर सकेंगे। बिना रुकावट राज्य के भीतर और बाहर उपज बेची व खरीदी जा सकेगी। किसानों की परिवहन/मार्केटिंग लागत बचेगी। ई-व्यापार का माहौल बनेगा।
    विरोध: किसान मंडी में उपज नहीं बेचेंगे तो राज्यों को मंडी फीस नहीं मिलेगी। अगर मंडी सिस्टम बदलेगा तो आढ़तियों (कमिशन एजेंट) का क्या होगा? इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की व्यवस्था खत्म हो जाएगी। इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग के लिए भी मंडियां चाहिए मगर बिना व्यापार के मंडियां कैसे बचेंगी।
    ठेके पर खेती से जुड़ा बिल
    द फार्मर्स (एंपावरमेंट ऐंड प्रोटेक्शन) अग्रीमेंट ऑफ प्राइस अश्योरेंस ऐंड फार्म सर्विसेज बिल, 2020
    प्रावधान: कृषि कारोबार से जुड़ी कंपनियों, प्रॉसेसर, होलसेलर्स, एक्सपोर्टर्स या बड़े रिटेलर्स से किसान पहले से तय कीमत पर भावी फसल के लिए करार कर सकेंगे। सीमांत और छोटे किसान जिनके पास 5 हेक्टेयर से कम जमीन है वे कॉन्ट्रैक्ट से फायदे में रहेंगे। बता दें कि भारत में 86% छोटे किसान ही हैं। ऐसे में बाजार की अनिश्चितता का खतरा किसान के बजाय स्पॉन्सर पर रहेगा। किसान को आधुनिक तकनीक मिलेगी। बिना बिचौलिये की मदद लिए किसान सीधे उपज को बेच सकेंगे।
    विरोध: नेगोशिएट करने की क्षमता किसान में कम। ‘स्पॉन्सर’ छोटे और सीमांत किसान से डील पसंद नहीं करेगा। कोई भी विवाद होने पर बड़ी प्राइवेट कंपनी, एक्सपोर्टर, होलसेलर या प्रॉसेसर का ही पलड़ा भारी रहेगा।
    आवश्यक वस्तुओं से जुड़ा बिल
    द असेंशियल कमॉडिटीज (अमेंडमेंट) बिल, 2020
    प्रावधान : आवश्यक वस्तुओं की सूची से अनाज, दाल, तिलहन, प्याज और आलू को हटाना। इससे ‘असाधारण स्थितियों’ को छोड़ इन चीजों का स्टॉक रखने की लिमिट खत्म होगी। इससे खेती में प्राइवेट सेक्टर का या विदेशी निवेश बढ़ेगा। कोल्ड स्टोरेज, मॉडर्न सप्लाई चेन के लिए निवेश आएगा। कीमतों में स्थिरता आने से किसान और उपभोक्ता दोनों फायदे में रहेंगे। उपज को बर्बादी से बचाया जा सकेगा।
    विरोध: ‘असाधारण स्थितियों’ वाले प्रावधान में दाम की सीमा इतनी ऊंची रखी गई है कि कभी नौबत ही नहीं आएगी। बड़ी कंपनियों को स्टॉक रखने की छूट मिलेगी जिससे वे अपनी शर्तें किसान पर थोपेंगी और किसान को कम दाम मिलेगा।

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