मालदीव। कर्जजाल में फंसाकर मनचाहा हड़पने की चीनी नीति एक और देश में सफल होती दिख रही है। भारत के पड़ोसी देश मालदीव के सिर पर ड्रैगन ने इतना कर्ज का बोझ लाद दिया है कि अब उसे श्रीलंका की तरह बहुत कुछ खोने का डर सताने लगा है। पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था वाला देश किस तरह चीनी कर्ज में डूबा है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मालदीव को 3.1 अरब डॉलर चीनी लोन चुकाना है, जबकि उसकी कुल अर्थव्यवस्था 4.9 अरब डॉलर की है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2013 में मालदीव की सत्ता संभालने वाले अब्दुल्ला यामीन चीन के बेहद करीबी थे। मालदीव की अर्थव्यवस्था को किकस्टार्ट देने के लिए उन्होंने चीन से बड़े पैमाने पर कर्ज लिया। चीन से सांठगांठ में जुटे यामीन ने पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद सहित अधिकतर विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया। हालांकि, यामनी 2018 के चुनाव में हार गए और मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी ने जीत हासिल की। इब्राहिम सोलिह राष्ट्रपति बने। इसके बाद नाशीद दोबारा राजनीति में लौटे। सत्ता में आई सरकार ने जब हिसाब-किताब देखा तो हैरान रह गई।
मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति और अब संसद के स्पीकर नाशीद के मुताबिक, देश पर चीन का 3.1 अरब डॉलर का कर्ज था। यह कर्ज सरकार, सरकारी कंपनियों के अलावा निजी कंपनियों को भी दिया गया, जिसकी गारंटी मालदीव सरकार ने ली थी। नाशीद अब चिंता जाहिर करते हैं कि उनका देश कर्ज जाल में फंस चुका है। उनका कहना है कि जो भी प्रोजेक्ट इन पैसों से शुरू किए गए वे इस लायक नहीं हैं कि कर्ज चुकाने लायक रेवेन्यू जेनरेट कर सकें। उनका तो यह भी कहना है कि कागज पर यह कर्ज असल में प्राप्त हुई राशि से अधिक है।
नाशीद कहते हैं कि मालदीव की अर्थव्यवस्था करीब 4.9 अरब डॉलर की है। चीनी कर्ज अर्थव्यवस्था के आधे से अधिक है। यदि सरकार के राजस्व में गिरावट रही तो 2022-23 तक लोन चुकाने में मुश्किल होगी। नाशीद आशंका जाहिर करते हैं कि यदि उनका देश डिफॉल्ट करता है तो श्रीलंका वाला हाल हो सकता है। गौरतलब है कि कर्ज नहीं चुका पाने पर श्रीलंका को अपना हम्बनटोटा बंदरगाह चीन को 99 साल के लिए गिरवी रखना पड़ा। इसके अलावा श्रीलंका को विशेष आर्थिक क्षेत्र बनाने के लिए इसके पास 15 हजार एकड़ जमीन भी देनी पड़ी।
मालदीव के कारोबारी अहमद शियाम ने चीन के एक्सपोर्ट-इंपोर्ट बैंक से 127.5 मिलियन का लोन लिया था। लेकिन जुलाई में वह लोन नहीं चुका पाए तो चीन के एग्जिम बैंक ने मालदीव सरकार को अगस्त में 10 अरब डॉलर चुकाने को कहा। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि यामीन सरकार ने निजी कंपनियों की ओर से लिए गए कर्ज की भी गारंटी ले ली थी।
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