लेह। भारत और चीन के बीच लद्दाख स्थित एलएसी पर टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है। चीनी सेना ने भारत के खिलाफ लगातार आक्रामक रवैया अख्तियार किया हुआ है, हालांकि भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई की वजह से उसे अब तक कोई खास सफलता नहीं मिली है। इस बीच खबर है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) अब भारतीयों के खिलाफ पंजाबी गानों को हथियार बनाना चाहती है। इसके लिए उसने पैंगोंग सो के फिंगर एरिया पर लाउडस्पीकर भी लगा दिए हैं।
जानकारी के मुताबिक, चीन की यह हरकत मुख्यतः भारतीय सैनिकों का ध्यान भटकाने के लिए है। दरअसल, चीन की ओर से फिंगर इलाके पर कब्जा करने के बाद भारतीय सेना लगातार उसकी गतिविधियों पर करीब से नजर रख रही है। ऐसे में संभव है कि चीन उनकी एकाग्रता भंग करने और उन पर से दबाव हटाने के लिए इस तरह की तरकीबें आजमा रहा है, ताकि वह क्षेत्र के घेराव के मंसूबों में कामयाब हो जाए। हालांकि, भारतीय सेना ने उन पोस्ट्स पर निगरानी बढ़ा दी है, जहां चीनियों ने लाउडस्पीकर लगाए हैं। सेना के पूर्व अधिकारियों के मुताबिक यह कोई नई बात नहीं और साल 1962 के युद्ध में भी चीन ने यही रणनीति अपनाई थी। चीन की सेना भारतीय सैनिकों पर मानसिक दबाव बनाने के लिए तहत इस तरह के गाने बजा रही है।
भारतीय नेताओं के भाषण भी चला रही चीनी सेना
चीनी सेना लाउडस्पीकर के जरिए सिर्फ पंजाबी गाने ही नहीं, बल्कि नेताओं के भाषण भी चला रही है, जिसमें हिंदी में ही उन्हें पूरे सर्दी के मौसम में तैनात रहने की बातें बताई जा रही हैं। माना जा रहा है कि चीन इसके जरिए भारतीय टुकड़ियों की हिम्मत को तोड़ना चाहता है और गरम खाने और अच्छी तरह रहने का मुद्दा उठाकर सैनिकों में ही फूट डालने की कोशिश कर रहा है।
1962 में भी ऐसी तरकीब आजमा चुका है चीन
भारत के एक पूर्व सेना प्रमुख ने बताया कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी 1962 के युद्ध से पहले भी पश्चिमी और पूर्वी सेक्टर में भी यह तरकीबें आजमा चुकी है। इसके अलावा 1967 के नाथू ला टकराव में भी चीन ने ऐसी ही कोशिशें की थीं। पर इस बार पैंगोंग में तैनात सेनाएं पहले से ही दृढ़ निश्चय हैं।
बता दें कि भारतीय सेना के 29-30 अगस्त के पैंगोंग के दक्षिणी किनारे से लेकर रेजांग ला के करीब रेकिन ला तक के ऑपरेशन से चीनी सेना काफी भड़की हुई है। ऐसे में वह लगातार भारत को पीछे हटाने के लिए नई-नई कोशिशें कर रही है। पहले उसने इन जगहों पर हथियार और टैंक लाकर भारत को भड़काने की कोशिश की, पर भारतीय सेना की ओर से मजबूती दिखाने के बाद उसे कोई खास फायदा नहीं मिल रहा है।
कई बार फायरिंग
सेना के सूत्रों ने कहा कि पहली घटना तब हुई जब भारतीय सेना ने 29-31 अगस्त के बीच दक्षिणी किनारे पर पैंगोंग झील के पास ऊंचाइयों पर कब्जा करने की चीनी कोशिश को नाकाम कर दिया था, जबकि दूसरी घटना 7 सितंबर को मुखपारी हाई के पास हुई। सेना के सूत्रों ने कहा कि तीसरी घटना 8 सितंबर को पैंगोंग झील के उत्तरी तट के पास हुई थी। उस दौरान देशों के सैनिकों ने 100 से अधिक राउंड फायरिंग की थी क्योंकि चीनी पक्ष बहुत आक्रामक तरीके से बर्ताव कर रहा था। वहीं यह घटना ऐसे समय में हुई, जब भारतीय विदेश मंत्री शंघाई सहयोग संगठन की बैठक के लिए मास्को गए थे और सीमा मुद्दों को संबोधित करने के लिए अपने चीनी समकक्ष से मिले थे। चर्चा के मुताबिक दोनों पक्ष कोर कमांडर-स्तरीय वार्ता करने वाले थे, लेकिन अभी तक चीनी पक्ष की ओर से तारीख और समय की पुष्टि नहीं की गई है।
कई बार हुई बातचीत
बता दें कि भारत और चीन ने सैन्य और कूटनीतिक दोनों स्तरों पर अप्रैल-मई से कई दौर की बातचीत की है लेकिन अब तक इसका कोई महत्वपूर्ण परिणाम नहीं निकला है। भारत और चीन इस साल अप्रैल-मई से पैंगोंग झील के पास कोंगरूंग नाला, गोगरा और फिंगर क्षेत्र में चीनी सेना के जरिए किए गए बदलाव के बाद गतिरोध में लगे हुए हैं। भारतीय सेना ने उस क्षेत्र में चीनी सेना के जरिए किसी भी आक्रामक कदम को उठाने के लिए अब लद्दाख क्षेत्र में अपनी तैयारियों को कई गुना बढ़ा दिया है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved