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15 अक्टूबर तक लद्दाख में बन जाएगी महत्वपूर्ण सड़कें, एलएसी तक पहुंच सकेंगी तोप

September 16, 2020


नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में सीमा पर जारी गतिरोध के बीच भारतीय सेना ने इलाके में लंबे समय तक टिके रहने की पूरी तैयारी कर ली है। इसके साथ ही अन्य संगठनों ने भी सेना की मदद के लिए कमर कस ली है। सीमा सड़क संगठन यानी बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन ने श्रीनगर-ज़ोजी ला-कारगिल लेह को इस साल बर्फ के कारण पिछले औसत 95 दिनों की जगह केवल 45 दिनों के लिए बंद करने का फैसला किया है। इसके साथ ही दरबूत-श्योक-दौलत बेग ओल्डी पर मौजूद पुलों को टैंक, ट्रक और ट्रेलर्स का भार सहने के लिए तैयार किया जाएगा।
एक रिपोर्ट के अनुसार आधिकारिक सरकारी सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्रालय के मातहत काम करने वाला बीआरओ, दिसंबर और जनवरी 2021 में नए दारचा-पदम-निमू-लेह मार्ग को भी साफ रखेगा, ताकि सैन्य आपूर्ति मार्ग को सुचारू रूप से जारी रखने के लिए तैयार रखा जाए। मोदी सरकार अब दारचा-पदम धुरी पर शिंकू ला में सबसे छोटी सुरंग तैयार करने पर विचार कर रही है, ताकि इस सड़क पर साल भर बर्फ ना जमे।
बीते महीनों में चीन द्वारा बातचीत के दौरान तय किए गए समझौतों का पालन ना करने और गतिरोध बनाए रखने के बीच यह सुनिश्चित किया जाएगा कि 17,580 फीट ऊंचे चांग ला दर्रा और 17,582 फीट खारदुंग ला मार्ग पर सेना की सप्लाई में बर्फ बाधा ना बनने पाए।
कब्जे वाले अक्साई चिन में पीएलए द्वारा किए गए निर्माण सरीखा पूर्वी लद्दाख में हथियार की तैनाती रखने के उद्देश्य से, बीआरओ DSDBO रोड पर सभी पुलों और पुलियों को 15 अक्टूबर तक मजबूत कर देगा। क्लास 70 ब्रिज का मतलब है कि यह 70 टन का भार सहन कर पाएगा, जो पूरी तरह भरे हुए टैंक, ट्रेलर के वजन से अधिक है। रणनीतिक शब्दों में इसका मतलब है कि सबसे खराब स्थिति में DSDBO सड़क का इस्तेमाल T-90 टैंकों, पैदल सेना के लड़ाकू वाहन और सतह से हवा में मिसाइलें लॉन्च करने के लिए किया जा सकता है, जो तिब्बत से सटे वास्तविक नियंत्रण रेखा में पूर्वी लद्दाख के पास हैं।
उम्मीद है कि बीआरओ इस महीने भारी वाहन यातायात के लिए दारचा-पदम-निमू-लेह को ठीक कर देगा लेकिन रक्षा मंत्रालय में 16000 फीट पर शिंकू ला में सुरंग की लंबाई और सीध पर चर्चा की जा रही है। इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHIDCL) को सुरंग के लिए सबसे कम संभव सीध की स्टडी करने का काम सौंपा गया है ताकि इसे अगले चार वर्षों में तैयार किया जा सके।

 

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