इंदौर। शहर के निजी कोरोना चिह्नित अस्पतालों में बेड और आईसीयू लगभग खत्म हो गए हैं। हालांकि लगातार प्रशासन इनकी संख्या बढ़वा रहा है, मगर अब 24 घंटे में ही इंदौर में जहां 400 तक पॉजिटिव मरीज मिलने लगे, वहीं बाहरी जिलों का भी दबाव और अधिक बढ़ गया है, क्योंकि सभी तरफ मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। नतीजतन संभव है कि ट्रेनों के डिब्बों और होटलों में मरीजों का इलाज करना पड़े। इसकी भी तैयारी शुरू कर दी गई है। केन्द्र सरकार ने कुछ समय पहले इंदौर में 79 आइसोलेशन कोच तैयार करवाए थे।
इंदौर के मरीजों के लिए तो पर्याप्त संख्या में बेड व आईसीयू उपलब्ध रहे, मगर आधे से ज्यादा बेड बाहरी मरीजों से भर गए हैं। वहीं सरकारी अस्पतालों में सक्षम लोग इलाज नहीं करवाना चाहते हैं, लिहाजा निजी अस्पतालों पर ही पूरा भार आ गया। नतीजतन अब सिफारिश के बाद भी आसानी से बेड उपलब्ध नहीं हो रहे हैं। एक और बड़ी परेशानी डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ के तेजी से संक्रमित होने के कारण भी आ गई। बेड तो अभी भी कई निजी अस्पतालों में हैं, मगर डॉक्टरों और स्टाफ का टोटा पड़ रहा है। कलेक्टर मनीष सिंह ने प्रमुख निजी अस्पतालों के आसपास स्थित होटलों या अन्य कोविड केयर सेंटरों में भी मरीजों को रखकर इलाज करवाने की व्यवस्था शुरू करवाई है। यहां पर ए सिम्टोमैटिक यानी कम लक्षणों वाले कोरोना मरीजों का इलाज किया जा सकता है। दिल्ली-मुंबई में भी मरीजों को अस्पतालों में बेड खत्म होने पर होटलों में रखना पड़ा। अब उसी तरह की स्थिति इंदौर में निर्मित होने लगी है। केन्द्र सरकार ने देश में कई जगह रेलवे कोच को इलाज के लिए तैयार करवाया था। इंदौर में भी 79 आइसोलेशन कोच स्टेशन के कोचिंग डिपो पर तैयार हैं, सिर्फ उनमें ऑक्सीजन ही लगाई जाना है। जरूरत पडऩे पर इन ट्रेनों के डिब्बों का भी इस्तेमाल ए सिम्टोमैटिक मरीजों के लिए किया जा सकता है। वहीं अन्य निजी अस्पतालों में भी बेड की व्यवस्था बढ़वाई जा रही है। सुपर स्पेशलिटी में भी बेड और आईसीयू की और अतिरिक्त व्यवस्था की गई है और एमटीएच के बिगड़े ढर्रे को सुधारने के लिए भी एमवाय अधीक्षक डॉ. ठाकुर को जिम्मेदारी सौंपी गई है। निजी अस्पतालों में जो 30 प्रतिशत आरक्षित बेड थे वे तो लगभग सभी भर चुके हैं और अब जैसे-तैसे अतिमहत्वपूर्ण मरीजों की व्यवस्था प्रशासन को करवाना पड़ रही है।
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