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    6 माह से वकील घर बैठे, दाने-पानी के लाले पड़े

  • September 16, 2020

    • वकीलों के पेट की समस्या बढ़ी लेकिन आमने-सामने सुनवाई  का फैसला नहीं
    • जजों के अलावा वकील भी हो रहे संक्रमण का शिकार
    • एक माह के बाद बार एसोसिएशन ने दोबारा नहीं की मांग

    इंदौर।  कोरोना महामारी की शुरुआत के बाद इंदौर में मार्च के तीसरे सप्ताह से न्यायालयों में फिजिकल सुनवाई निलंबित कर दी गई थी, पिछले करीब 6 माह से अधिकांश वकील घर बैठे है। फिजिकल सुनवाई को लेकर मांगें तो उठी थी लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है। यह कैसे शुरू हों? यह अभी भी काफी विचारणीय प्रश्न है।
    अनलॉक के बाद अब अदालतों में वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई का नवाचार शुरू हुआ है जिसे वर्चुअल सुनवाई के नाम से भी जाना जाता है लेकिन अधिकांश वकील इस तरीके से काम करने के वाकिफ नहीं है। सिर्फ कुछ लोगों को ही इसके जरिये काम मिल रहा है, शेष घरों में बैठे है। इंदौर में करीब 5 हजार वकील है, उनके समक्ष जीवन-यापन का बड़ा संकट खड़ा हो रखा है क्योंकि उनके पास पेट भरने का अन्य कोई जरिया नहीं है। सभी प्रकार के प्रकरणों की सुनवाई नहीं होने से उनके सामने आर्थिक समस्या भी उत्पन्न हो रही है। सूत्रों की मानें तो स्थानीय जिला कोर्ट को रोजाना सेनिटराईज किया जा रहा है, इसके बाद भी कोरोना संक्रमण हो रहा है। करीब 15 वकील और अब तक तीन-चार जजेस कोरोना की चपेट में आ चुके है। कल ही एक अपर सत्र न्यायाधीश के सहित उनके परिवार के चार लोग कोरोना पॉजिटिव निकलें है जिसके बाद उन्हें क्वारेंटाइन किया गया है वहीं उनकी कोर्ट को बंद कर दिया है। इंदौर की दोनों बार एसोसिएशंस ने भी करीब एक माह पहले संयुक्त सभा करके फिजिकल सुनवाई की मांग की थी किंतु अभी तक इसे पूरा नहीं किया गया है, इसके बाद एसोसिएशंस ने भी दुबारा मांग नहीं की है। वहीं दबी जुबान में मौजूदा माहौल में कई वकील व कुछ पदाधिकारी फिजिकल सुनवाई शुरू करने के पक्ष में नहीं है। नाम नहीं छापने की शर्त पर कुछ पुराने वकीलों का कहना है कि फिजिकल सुनवाई के पहले कोरोना से सुरक्षा के इंतजाम किये जाने चाहिए और इसके लिए व्यापक रूप से विचार किया जाना चाहिये, उसके बाद ही कामकाज नियमित तौर पर शुरू करना चाहिये। एडवोकेट मनोज मुंशी का कहना है कि वर्तमान व्यवस्था में ही संक्रमण बढ़ रहा है, ऐसे में फिजिकल सुनवाई शुरू होने पर संक्रमण तेजी से बढ़ेगा। वहीं इंदौर बार एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष अशोक कचोलिया का कहना है कि कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए फिजिकल सुनवाई शुरू की जाना चाहिए।
    बहरहाल रोजाना सैकड़ों वकील जिला व हाईकोर्ट काम करने जा रहे है क्योंकि पेट की आग बुझाना भी जरूरी है फिर सुनवाई ऑनलाईन हो या फिजिकल, इससे उन पर कोई फर्क नहीं पड़ता। अदालतों में प्रकरणों की पेंडेंसी भी बढ़ी है। पुराने प्रकरण हल हुए नहीं है कि पुलिस ने धारा 188 व अन्य धाराओं के हजारों प्रकरण तैयार कर दिये है।
    सुप्रीम कोर्ट ने सीमित सुनवाई को प्रभावी बनाने के लिए जारी की गाइड लाइन
    हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में सीमित फिजिकल सुनवाई को प्रभावी बनाने के उद्देश्य से शीर्ष अदालत ने व्यापक यूजर गाइड जारी की है। यह गाइड ‘हाउ टू गाइड’ के साथ शुरू होती है जो फिजिकल सुनवाई में भाग लेने के लिए एक वकील या क्लर्क को ई-नामांकित करने के लिए लॉग इन करने को कहती है और वेबसाइट पर पहुंचाती है। सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर कोई भी व्यक्ति ‘स्पेशल हियरिंग एंट्री पास’ नाम से आसानी से लिंक प्राप्त कर सकता है। एंट्री पास लिंक नियमित डेस्कटॉप पीसी के उपयोग के अलावा स्मार्ट फोन और टैबलेट जैसे मोबाइल उपकरणों पर भी काम करेंगा।
    सीजेआई ने भी माना- बढ़ी पेंडेंसी कलकत्ता हाईकोर्ट भी चिंतित
    भारत के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एस ए बोबड़े ने भी माना है कि महामारी और लॉकडाउन के परिणामस्वरूप न्यायपालिका में मामलों की पेंडेंसी में बढ़ोतरी देखी जा रही है। हाल ही में सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आर. बानुमथी द्वारा लिखित पुस्तक के वर्चुअल लॉन्च इवेंट में बोलते हुए उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि यह केवल मध्यस्थता के प्रस्तावों के माध्यम से हल किया जा सकता है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि हर मामले में मध्यस्थता नहीं की जा सकती है। इसी बीच, कलकत्ता हाईकोर्ट ने मुकदमों की कार्यवाही में प्रगति न होने पर चिंता प्रकट की है। खासकर उन मामलों में, जिनमें एक या अधिक अभियुक्त लंबे समय से हिरासत में हैं। उसने कहा है कि ऐसी स्थिति वांछनीय नहीं है। जस्टिस जॉयमाल्या बागची और सुव्रा घोष की डिवीजन बेंच ने कहा   कि ट्रायल कोर्ट को रेप, पॉस्को एक्ट, नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट आदि के मामलों में ट्रायल शुरू करना चाहिये। इन मामलों में कोविड-19 के मद्देनजर जारी किए गए सुरक्षा उपायों और सामाजिक दूरी का अनुपालन करते हुए जैसा वे उचित मान सकते हैं, फिजिकल मोड या हाइब्रिड/वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग मोड के जरिए ट्रायल की कार्यवाही शुरू करें।

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