भोपाल। मप्र में 27 विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने 15 प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी है। कांग्रेस के प्रत्याशियों की सूची देखकर लगता है कि कमलनाथ ने भाजपा से पहले बसपा को तगड़ा झटका दिया है। ग्वालियर-चंबल संभाग के 9 प्रत्याशियों में 5 ऐसे हैं, जो बसपा में रहे हैं, जबकि 2 प्रत्याशी भाजपा से तोडक़र लाए गए हैं।
दिमनी से रवीन्द्रसिंह तोमर बेशक कांग्रेस से रहे हैं, लेकिन टिकट कटने पर वे बसपा से भी चुनाव लड़ चुके हैं। अंबाह से प्रत्याशी बनाए गए सत्यप्रकाश संखवार ने पिछला चुनाव बसपा से लडक़र 22179 वोट हासिल किए थे। गोहद से प्रत्याशी बनाए गए मेवाराम जाटव की राजनीति भी बसपा से शुरू हुई है। भांडेर के प्रत्याशी फूलसिंह बरैया लंबे समय तक बसपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। करेरा से कांग्रेस प्रत्याशी बनाए गए प्रज्ञीलाल जाटव ने पिछला चुनाव बसपा से लडक़र 40 हजार से ज्यादा वोट हासिल किए थे। इन पांचों को कांग्रेस से उम्मीदवार बनाने के पीछे कमलनाथ की रणनीति बसपा के वोटों को कांग्रेस की ओर खींचने की है, जबकि डबरा से उम्मीदवार बनाए गए सुरेशराजे भाजपा के दिग्गज नेता रहे हैं। टिकट मिलने के पहले तक उनकी छवि नरोत्तम मिश्रा के खास कार्यकर्ता के रूप में रही है। इसी तरह भाजपा से नाराज होकर बामोरी से निर्दलीय चुनाव लडने वाले कन्हैयालाल अग्रवाल को उम्मीदवार बना दिया है। वे शिवराज मंत्रिमंडल में मंत्री रह चुके हैं। निर्दलीय चुनाव लडक़र भी वे 28 हजार से ज्यादा वोट लेने में सफल रहे थे। कमलनाथ ने ग्वालियर और अशोकनगर से ऐसे प्रत्याशियों को टिकट दिया है, जिन्हें पिछले विधानसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कथित रूप से धोखा दिया था। ग्वालियर से सुनील शर्मा और अशोकनगर से आशा दोहरे उम्मीदवार हैं। उनकी सास ने आरोप लगाया था कि पिछले चुनाव में टिकट के नाम पर सिंधिया खेमे ने उनसे 50 लाख रुपए जमा कराए थे। इंदौर जिले की सांवेर सीट से घोषित प्रेमचंद गुड्ड भी भाजपा में जाकर लौटे हैं। सांची में दो चौधरी आमने-सामने हो गए हैं। अनूपपुर में कांग्रेस ने विश्वनाथ कुंजाम को टिकट दिया है, लेकिन खबर आ रही है कि वहां के जिला कांग्रेस अध्यक्ष का झुकाव बिसाहूलाल सिंह की तरफ है।
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