नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन के दरम्यां जारी तनातनी के बीच रूस की राजधानी मॉस्को में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने शंघाई सम्मेलन से इतर मुलाकात की। इस दौरान सीमा पर जारी गतिरोध का चर्चा का केंद्र बिन्दु बना रहा। चीन के विदेश मंत्री वांग यी और भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के बीच तल्खी से बातचीत हुई।
बैठक में चीन का जोर इस बात पर था सीमा पर तनातनी भी जारी रहे और द्विपक्षीय संबंध भी चलते रहें जिसे भारत ने सिरे से खारिज कर दिया। चीन का सीधा मतलब था कि सीमा पर वह जो कर रहा है वह चलता रहे और भारत से उसका व्यापार भी जारी रहे, जिस पर विदेश मंत्री जयशंकर ने वांग को यह स्पष्ट किया कि अगर सीमा पर स्थितियां सही नहीं हुई तो कोई संबंध नहीं रखा जा सकता है।
जयशंकर ने सख्त लहजे में कहा कि सेना तब तक पीछे नहीं हटेगी जब तक कि चीन की सेना भारतीय इलाकों से हट जाती। उन्होंने कहा सीमा पर शांति तभी बहाल होगी जब चीन अपने हर बिन्दु पर वापस लौट जाएगा। इसके साथ ही भारत की ओर से चीन को यह स्पष्ट कर दिया गया कि अगर सीमा पर स्थितियां सामान्य नहीं होंगी तो उसे हर तरह का नुकसान उठाना पड़ेगा। ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा कि सीमा पर गतिरोध जारी रहे और व्यापार भी चलता रहे।
एक रिपोर्ट के अनुसार जयशंकर ने वांग से कहा कि सीमा पर यह स्थिति तब पैदा हुई जब चीनी सेना ने अवैध निर्माण किए और कई समझौतों का पालन नहीं किया गया।’ रिपोर्ट के अनुसार चीन अपने वादों पर खरा उतरा या नहीं, भारत इसका निरीक्षण करेगा क्योंकि इससे पहले चीन धोखा दे चुका है। कमांडर स्तर की बैठक में लिए जाने वाले फैसलों को चीनी सेना नहीं मानती थी। गौरतलब है कि बीते कुछ महीनों के भीतर भारत ने चीन के कई ऐप्स, कई परियाजनाओं में उसकी कंपनियों द्वारा किए गए निवेश पर कड़े फैसले लिए और सभी पर रोक लगा दी। जून में हुई हिंसक झड़प पर भी चीन और भारत के विदेश मंत्रियों के बीच बात हुई। इस झड़प में एक कर्नल समेत 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। भारत ने कहा कि चीन की कार्रवाई स्पष्ट रूप से समझौतों का उल्लंघन थी।
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