गुना। जैसे-जैसे बमौरी विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव नजदीक आ रहे हैं। वैसे-वैसे कुछ समाजों व समुदायों के गुटों के बीच जंगल काटकर खेती की जमीन बनाने को लेकर बीते तीन माह से खूनी संघर्ष हो रहे हैं। इस खूनी संघर्ष में अभी तक बीस से अधिक लोग घायल हो गए हैं। दस से अधिक फतेहगढ़ और बमौरी में एक-दूसरे के खिलाफ एफआईआर तक हो चुकी है। लगातार हो रहे खूनी संघर्ष से यह तय है कि आगामी बमौरी उपचुनाव में जंगल का मुद्दा चुनावी मुद्दा बनेगा।
दरअसल, बीते रोज ही बमौरी विधानसभा क्षेत्र के धनोरिया गांव में कन्हैयालाल धाकड़ की दूसरे पक्ष के लोगों ने हत्या कर दी। पुलिस इसे हत्या न बताकर हार्टअटैक से मौत होना बता रही है। जबकि मृतक के परिजनों ने खुलकर आरोप लगाया है कि अर्जुन सिंह एवं उनके समर्थकों ने हमला कर कन्हैयालाल की हत्या की है। इसके साथ ही राशन का भी मुद्दा भी बमौरी विधानसभा क्षेत्र में गरमाएगा। जंगल और राशन का मुद्दा भाजपा की एक बैठक में जमकर गूंजा था।
बमौरी थानान्तर्गत भरतपुर हिनौतिया गांव में रहने वाले दो समाजों के गुटों के बीच रविवार को जंगल काटने को लेकर विवाद हो गया। इसके चलते एक समाज के गुट ने दूसरे समाज के गुट के लोगों पर तीर, लाठी आदि से हमला कर दिया। इस हमले के बाद पथराव भी जमकर हुआ। घायल होने की खबर मिलने पर बमौरी पुलिस मौके पर पहुंची, जब तक हमला करने वाले एक समाज के लोग भाग निकले। छह घायलों को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है। घायल होने वाले किरार समाज के बताए गए हैं। पुलिस ने दोनों पक्षों के आपस में विवाद होना बताया और दोनों पक्षों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।
भील समाज के कुछ लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वन विभाग का बीट गार्ड जंगल की जमीन न काटने की बात कहकर बंद कराने की धमकी देता है, इसके बाद हमारे समाज के लोगों की बैठक होती है उसमें क्षमता अनुसार तीन से पांच हजार रुपया प्रति परिवार एकत्रित करता है यह पैसा बीट फोरेस्ट गार्ड के जरिए पैसा वन विभाग के वरिष्ठ अफसरों के पास पहुंच जाता है, उसके बाद यह जंगल की कटाई करने की मौखिक अनुमति मिल जाती है। वे बताते हैं कि अभी तक 1200 हेक्टेयर लगभग जंगल कट चुका है।
वोट बैंक के फेर में कांग्रेस-भाजपा की चुप्पी
बमौरी उपचुनाव नजदीक हैं। बमौरी विधानसभा क्षेत्र में जंंगल की कटाई चल रही है। इसकी खबर प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंंत्री महेन्द्र सिंह सिसौदयिा को है,वहीं कांग्रेस के पूर्व मंत्रियों को भी है, लेेकिन कोई भी राजनैतिक दल या आगामी विधानसभा उपचुनाव के प्रत्याशी पद के दावेदार इस मुद्दे पर खुलकर बोलने को तैयार नहीं हैं। जंगल कटाई को लेकर फतेहगढ़ और बमौरी पुलिस थाना संकट में हैं, उसकी मजबूरी ये है कि जंगल कटाई करने वाले लोग किसी न किसी राजनीतिक दल से जुड़े हुए हैं। जिससे दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है।