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    होटल लैंटर्न के बाद मालवा वनस्पति के जमीन घोटाले पर प्रशासन की निगाहें

  • September 07, 2020


    – अब बिल्डर शरद डोसी की कारस्तानियां निशाने पर
    – औद्योगिक जमीन पर प्लाट काटे जाने और सडक़, बगीचे की जमीनें हड़पने की जांच होगी
    – शिव कोठी भी नपी, आरएनटी मार्ग के दो भवनों की जमीन से लेकर सीलिंग तक नापेगा निगम
    इन्दौर। शहर के भूमाफियाओं पर शिकंजा कसने के बाद अब जिला प्रशासन शहर के बिल्डर शरद डोसी की कारगुजारियों को खोदने और खोजने में जुटा हुआ है। डोसी की कंपनी द्वारा खरीदी गई लैंटर्न होटल की जमीन का स्वामित्व जहां विवादों में घिर गया है, वहीं अब मालवा वनस्पति की औद्योगिक जमीन के नक्शे पर जहां प्रशासन की निगाहें हैं, वहीं शिव कोठी में किए गए अवैध निर्माण की फाइल भी प्रशासन ने खोल ली है। बताया जाता है कि इस कमर्शियल काम्प्लेक्स में कम्पाउंडिंग की सीमा से अधिक अवैध निर्माण किया गया है और उसे गलत तरीके से कम्पाउंडिंग करा लिया गया। इसके साथ ही निगम आरएनटी मार्ग स्थित दो अन्य भवनों की नपती भी कराने जा रहा है।
    इंदौर में कई आवासीय और व्यावसायिक भवनों का निर्माण करने वाले बिल्डर शरद डोसी ने कई बड़े प्रोजेक्टों को हाथ में लेकर निवेशकों को मुनाफा कमवाया है, जिन्हें न केवल समयसीमा में पूर्ण किया गया, बल्कि अपनी जमावट के चलते सारी अनुमतियों से लेकर पूर्णता तक के प्रमाण पत्र हासिल कर लिए गए। यह पहला मौका है, जब बिल्डर डोसी को लैंटर्न होटल के मामले में न केवल विवादों में उलझना पड़ा, बल्कि उस सम्पत्ति का स्वामित्व तक खतरे में पड़ गया। इसके पहले डोसी रेसकोर्स स्थित मोहता भवन की एक और सम्पत्ति को लेकर उलझे हुए हैं, जिसका नक्शा मास्टर प्लान की पेचीदगियों के चलते अटका पड़ा है। लेकिन वर्षों से बेखौफ काम करने वाले डोसी अब प्रशासन की निगाहों में हैं और उनके हर प्रोजेक्ट जांच के घेरे में हैं, जिनमें मालवा वनस्पति की वह जमीन भी शामिल है, जिस पर डोसी ने कमर्शियल नक्शा पास करवाकर प्लॉटों का विक्रय किया है और उन प्लॉटों को खरीदने वाले उद्योग के बजाय उनका व्यावसायिक उपयोग करने की फिराक में हैं। हालांकि उक्त भूमि के स्वामित्व का भी लम्बे समय तक विवाद चलता रहा, लेकिन अब प्रशासन द्वारा इस बात की जांच की जा रही है कि उक्त सम्पत्ति में बिल्डर द्वारा सडक़ और बगीचे की जमीनों का समायोजन कर घपला तो नहीं किया गया है।
    मामला आठ करोड़ की वसूली से शुरू हुआ और 100 करोड़ में उलझा
    उक्त सम्पत्ति पर स्टाम्प ड्यूटी की बकाया राशि को लेकर विवाद शुरू हुआ था। दरअसल सम्पत्ति को ट्रस्ट से अंतरित करने के मामले में पेनल्टी सहित 12 करोड़ की ड्यूटी आरोपित की गई थी। इसमें से आठ करोड़ की पेनल्टी हाईकोर्ट ने माफ भी कर दी थी, लेकिन सम्पत्ति पर स्वामित्व का दावा करने वाला ढंडा परिवार ड्यूटी की मूल राशि समय पर नहीं चुका पाया और हाईकोर्ट का उक्त फैसला शून्य हो गया। बिल्डर द्वारा 12 करोड़ की पूरी रकम किस्तों में जमा भी की गई, लेकिन निगम कोरोना काल के चलते खाली हुए खजाने की कंगाली को दूर करने के लिए समय से पहले रकम वसूली के लिए मामले को फिर हाईकोर्ट में ले गया। यह मामला कोर्ट में चल ही रहा था कि प्रशासन के हाथ स्वामित्व के दस्तावेज लग गए और बिल्डर की 100 करोड़ की सम्पत्ति उलझ गई।

    ट्रस्ट का स्वामित्व निगम का निकला
    लैंटर्न होटल की सम्पत्ति को लेकर पहले प्रशासन के कान इस बात को लेकर खड़े हुए थे कि उक्त सम्पत्ति का स्वामित्व ट्रस्ट का होने और गलत तरीके से विक्रय की शिकायत प्रशासन को मिली थी। प्रशासन द्वारा कराई गई जांच के दौरान इस बात के तथ्य मिले थे। दस्तावेजों की खोज-पड़ताल के दौरान यह बड़ा मामला उजागर हुआ कि उक्त सम्पत्ति का स्वामित्व निगम का रहा है और उसके विक्रय या ट्रस्ट का अधिकार डंडा परिवार को था ही नहीं। इस तथ्य के उजागर होने के बाद प्रशासन ने ट्रस्ट मामलों की जांच आगे बढ़ाने के बजाय निगम को उक्त सम्पत्ति हासिल करने की लड़ाई के लिए छोड़ दिया। अब निवेशकों का करोड़ों रुपया उलझाने के बाद बिल्डर डोशी एक लम्बी कानूनी लड़ाई में उलझ गए हैं।
    रीगल टाकिज की जमीन हथिया ही चुका है निगम
    इससे पहले निगम कानूनी लड़ाई लड़ते हुए शहर की सबसे मौके की रीगल टाकिज की जमीन पर कब्जा कर ही चुका है। हालांकि वह जमीन निगम ने ठाकुरिया परिवार को लीज पर दी थी और लीज अवधि समाप्त होने पर उसने स्वामित्व का दावा लगा दिया, जिसका प्रकरण अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लम्बित है। प्रशासन उसी तर्ज पर लैंटर्न होटल की जमीन भी हथियाना चाहता है।
    शिव कोठी की जमीन खरीदने वाले फंसेंगे
    लैंटर्न होटल मामले की जांच की आंच अब बिल्डर के दूसरे प्रोजेक्टों तक पहुंच गई है। निगम ने शिव कोठी की नपती कर की गई कम्पाउंडिंग की दोबारा जांच शुरू कर दी है। निगम का मानना है कि शिव कोठी में कम्पाउंडिंग की सीमा से अधिक अवैध निर्माण किया गया है। यदि यह सही साबित होता है तो शिव कोठी में सम्पत्ति खरीदने वाले बुरी तरह फंस जाएंगे।
    आरएनटी मार्ग की दो बिल्डिंगों की भी जांच
    निगम द्वारा जांच के क्रम में बिल्डर द्वारा आरएनटी मार्ग पर बनाई गई दो बिल्डिंगों की भी नपती की जाएगी, जिनमें से एक यूनिवर्सिटी से लगी हुई है तो दूसरी रवींद्र नाट्यगृह के पास स्थित है। यूनिवर्सिटी से लगी जमीन के सीमांकन में भी विवाद है। प्रशासन इस आरोप की भी जांच कर रहा है कि क्या उक्त बिल्डिंग में यूनिवर्सिटी की जमीन का हिस्सा भी हड़पा गया है।
    मालवा वनस्पति के नक्शों की जांच
    प्रशासन द्वारा मालवा वनस्पति की जमीन के नक्शों की जांच की जा रही है। आशंका यह है कि उक्त जमीन पर सडक़ और बगीचों की जमीन का हेरफेर कर नक्शा पास करवाया गया और भूखंडों का विक्रय किया गया है।
    डोसी के प्रोजेक्ट में आंख मूंदकर निवेश करते रहे हैं लोग
    बिल्डर शरद डोसी के प्रोजेक्ट में लोग आंख मूंदकर निवेश करते रहे हैं। डोसी जमीन खरीदने के साथ ही पूरे प्रोजेक्ट का माल पहले ही दिन निवेशकों को बेच दिया करते थे और निवेशक बाद में अच्छा पैसा कमाते थे, लेकिन मोहता भवन और लैंटर्न होटल का प्रोजेक्ट रुकने के बाद निवेशकों को तगड़ा झटका लगा है। अब यदि अन्य प्रोजेक्टों में भी उलझन पैदा होती है तो लोगों का विश्वास खतरे में पड़ सकता है। ऐसे में यह बिल्डर डोसी के लिए भी अस्तित्व का सवाल बन गया है।

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