पटना। बिहार विधान सभा चुनाव की तिथियों की घोषणा अभी शेष है लेकिन राजनेताओं ने दावे करने शुरू कर दिए हैं कि चुनाव का परिणाम क्या होगा और क्यों होगा । वरिष्ठ भाजपा नेता और बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का कहना है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) अपने विरोधियों का सफाया कर देगा, पूरा सफाया! एक विशेष साक्षात्कार में उन्होंने ने दावा किया कि यह चुनाव एकतरफा होगा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अब किसी एक पार्टी के सरकार बनाने का समय पूरी तरह से समाप्त हो चुका है और अपने बल बूते न तो भाजपा सरकार बना सकती है और न ही जदयू।
आगामी चुनाव की क्या तस्वीर उभर रही है?
राजग अभी से बहुत आगे है चुनाव की घोषणा होने दीजिये यही तस्वीर सब को बिलकुल साफ़ नज़र आयेगी । हम लोगों ने जो काम किया है वह जनता के सामने है । हमने हर चुनौती को चैलेंज के रूप में लिया और लगातार जनता के लिए काम किया है । अब यह साफ हो गया कि विधानसभा चुनाव में एनडीए के सामने दरअसल केवल दो आदतन भ्रष्टाचारी और परम्परागत वंशवादी दल होंगे। इससे जनता को यह फैसला करने में आसानी होगी कि कौन न्याय के साथ विकास को आगे बढायेगा और किसकी नीयत काम के बदले जमीन लिखवाने की रहेगी। यह भी सत्य है कि कोई एक दल सरकार बनाने का सपना नहीं देख सकता। भाजपा और जदयू दोने ने ही अलग अलग चुनाव में अकेले लड़ कर नतीजा देख लिया है।
क्या लालू यादव के जेल में रहने से आप लोगों को फायदा हो रहा है?
लालू प्रसाद के जेल में रहने या बाहर रहने से कोई अंतर नहीं पड़ने वाला। 2010 चुनाव के समय वह जेल में नहीं थे और चुनाव की कमान खुद संभाले हुए थे लेकिन क्या नतीजा निकला । उनकी पार्टी केवल 22 सीट जीत सकी। 2015 की बात अलग थी। उस समय महागठबंधन के नेता और चेहरा नीतीश कुमार थे और उसी का लाभ उस गठबंधन को हुआ था लेकिन आज नीतीश कुमार राजग के नेता और चेहरा हैं। चुनाव आयोग ने अभी तक बिहार विधानसभा का चुनाव कराने के बारे में कोई स्पष्ट निर्णय नहीं किया है, लेकिन चुनाव टालने की दलील देने वाली पार्टी और महागठबंधन में भगदड़ मची है। लालू प्रसाद की चुनावी ब्रांड वैल्यू जीरो हो चुकी है, इसलिए पांच एमएलसी और सात विधायक राजद छोड़ चुके हैं। जीतन राम मांझी जी का महागठबंधन छोड़ना साबित करता है कि जेल से चलने वाली पार्टी दलितों-पिछड़ों का भला नहीं कर सकती। मांझी जी का एनडीए में स्वागत है। लालू प्रसाद जब सत्ता में रहे, तब उनके 15 साल में 118 नरसंहार हुए। दलितों की हत्याएं हुईं, लेकिन उन्हें मुखिया-सरपंच बनने का मौका नहीं दिया गया। वे जब विपक्ष में आये तो पुत्र मोह में दलित नेताओं का अपमान किया। दलित-पिछड़े-अतिपिछड़े समाज के चंद लोगों को शो-रूम आइटम बना कर लालू प्रसाद की पार्टी चुनाव नहीं जीत पाएगी।
लेकिन लालू प्रसाद जेल से ही चुनाव की तैयारी भ कर रहे हैं और सहयोगी दलों को दिशा निर्देश भी दे रहे है!
लालू प्रसाद को जो सुविधाएँ रांची में मिली हैं उनका वह दुरूपयोग कर रहे हैं। हमलोग चुनाव आयोग को इस की जानकारी दे रहे हैं। एक हजार करोड़ के चारा घोटाला के चार मामलों में लालू प्रसाद को जेल की सजा हुई, लेकिन झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने उन्हें इलाज के नाम पर पहले रिम्स में और फिर आइसोलेशन के बहाने आलीशान बंगले में पहुंचा दिया। भ्रष्टाचार का दोष सिद्ध अपराधी यदि राजनीतिक रसूख के बल पर जेल बंदी के बजाय राजकीय अतिथि जैसी पांच सितारा सुविधाएँ पा रहा है, तो इस पर सीबीआई को स्वत: संज्ञान लेना चाहिए। सजायाफ्ता लालू प्रसाद से मिलने रोजाना दर्जन-भर लोग उनके बंगले पर पहुंच रहे हैं। बिहार में चुनाव लड़ने के इच्छुक 200 से ज्यादा लोग रांची जाकर उन्हें बायोडेटा दे चुके हैं। यदि झारखंड सरकार जेल मैन्युअल की धज्जियां उड़ा कर लालू प्रसाद को जेल से पार्टी चलाने और टिकट बांटने में राजनीतिक भूमिका निभाने का मौका दे रही है, तो हम चुनाव आयोग से हस्तक्षेप की अपील करेंगे। (एजेंसी, हि.स.)
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