वाशिंगटन । अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से हटने की अपनी पूर्व घोषणा पर कायम रहते हुए संस्था को आठ करोड़ डॉलर (600 करोड़ रुपये) का अंशदान देने से इन्कार कर दिया है। इस धनराशि को वह अब संयुक्त राष्ट्र के बिलों के भुगतान के लिए खर्च करेगा।
उल्लेखनीय है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना वायरस के प्रकोप की सही जानकारी न देने का आरोप लगाते हुए डब्ल्यूएचओ को चीन की कठपुतली बताया था।
हालांकि डब्ल्यूएचओ ने अमेरिका के आरोप के सत्य होने से इन्कार किया और पूरी गंभीरता के साथ कोविड-19 महामारी रोकने के लिए प्रयास करने का दावा किया है। संस्था के प्रवक्ता ने कहा, अमेरिका के विश्व संगठन छोड़ने का डब्ल्यूएचओ को दुख है। इस मामले में हम विवरण की प्रतीक्षा कर रहे हैं। पूरे मामले पर हम सावधानी से आगे बढ़ रहे हैं। वैसे अमेरिकी संसद के 1948 में पारित संकल्प के अनुसार अमेरिका को डब्ल्यूएचओ छोड़ने के लिए एक साल का नोटिस देना जरूरी है और इस नोटिस पीरियड का उसे अंशदान भी चुकाना होगा। इस लिहाज से अमेरिका को आठ करोड़ डॉलर का मौजूदा अंशदान देना चाहिए।
अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय संगठन मामलों की सहायक विदेश मंत्री नेरिसा कुक ने कहा है कि उनके देश ने डब्ल्यूएचओ को 2019 में 1.8 करोड़ डॉलर, 2020 में 6.2 करोड़ डॉलर का अंशदान दिया है। साथ ही उसे संयुक्त राष्ट्र के कार्यक्रमों के लिए भुगतान करना होता है, इसलिए वह डब्ल्यूएचओ को अतिरिक्त धनराशि का भुगतान नहीं कर सकता। जबकि वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में कानून के प्रोफेसर लॉरेंस गोस्टिन ने ट्रंप प्रशासन के कदम को अनैतिक और कानून के विरुद्ध बताया है।
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