नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने बैंक लोन डिफॉल्टर विजय माल्या की अदालत की अवमानना मामले में पुनर्विचार याचिका सोमवार को खारिज कर दी। शीर्ष अदालत ने 2017 की इस याचिका पर फिर से विचार करने से इनकार कर दिया। बता दें कि माल्या ने अदालत की अवहेलना करते हुए पैसे अपने बच्चों के नाम ट्रांसफर कर दिए थे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अदालत की अवमानना का दोषी करार दिया था।
27 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। याचिका में कोर्ट की अवमानना मामले में 2017 में सुनाए गए आदेश पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया गया है। न्यायमूर्ति यू यू ललित और न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने मामले में दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। कोर्ट ने जून में अपनी रजिस्ट्री को यह बताने के लिए कहा था कि बीते तीन साल में माल्या की पुनर्विचार याचिका को संबंधित कोर्ट के समक्ष सूचीबद्ध क्यों नहीं किया गया। उसने रजिस्ट्री को बीते तीन साल में याचिका से संबंधित फाइल को देखने वाले अधिकारियों के नामों समेत सभी जानकारी मुहैया कराने के लिए कहा था।
दरअसल, माल्या ने सुप्रीम कोर्ट के नौ मई 2017 के उस आदेश पर पुनर्विचार के लिए याचिका दायर की थी, जिसमें उसे न्यायिक आदेशों को दरकिनार कर अपने बच्चों के खातों में चार करोड़ अमेरिकी डॉलर स्थानांतरित करने पर कोर्ट की अवमानना का दोषी करार दिया गया था। नौ हजार करोड़ रुपये से अधिक के बैंक कर्ज धोखाधड़ी मामले में आरोपी माल्या फिलहाल ब्रिटेन में है।
सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले बैंकों के समूह की याचिका पर वह आदेश दिया था। याचिका में कहा गया था कि माल्या ने कथित रूप से विभिन्न न्यायिक आदेशों का ”खुलेआम उल्लंघन” कर ब्रिटिश कंपनी डियाजियो से प्राप्त चार करोड़ अमेरिकी डॉलर अपने बच्चों के खातों में स्थानांतरित किए थे।
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