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    बड़े जिलों को पछाड़कर डिंडौरी ने मारी बाजी

  • August 29, 2020

    • पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने जारी की जिलों की ग्रेडिंग

    भोपाल। कोरोना संक्रमणकाल में मनरेगा प्रवासी श्रमिकों के लिए वरदान साबित हुआ है। प्रदेश में गत वर्षों की अपेक्षा इन पांच माह में रिकार्ड काम हुआ है और लोगों को काम मिला है। इस दौरान लगभग सभी जिलों में मनरेगा के तहत खुब काम हुए हैं। लेकिन प्रदेश का डिंडौरी जिला ऐसा रहा है जिसमेें पिछले एक साल में सबसे अधिक काम हुआ है। डिंडौरी ने प्रदेश के सभी बड़े-छोटे जिलों को पछाड़कर ए ग्रेड का दर्जा पाया है। दरअसल, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने जिलों की एक साल की ग्रेडिंग जारी की है। ग्रेडिंग जारी करते हुए डिंडौरी जिले को ए ग्रेड में रखा है। जबकि भोपाल, इंदौर, जबलपुर सहित तमाम बड़े जिलों को बी, सी ग्रेड से संतोष करना पड़ा है। यानी आदिवासी जिला डिंडौरी ने मनरेगा में सबसे बेहतर काम किया है। मालूम हो कि पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग हर साल मनरेगा में बेहतर काम करने पर जिलों की ग्रेडिंग जारी करता है। इसके तहत मजदूरों को काम और मजदूरी देने में डिंडौरी, बालाघाट, अशोकनगर, बुराहनपुर सहित अन्य छोटे जिलों ने अच्छा काम किया है।

    ए ग्रेड में एक मात्र डिंडौरी ही
    पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा जारी ग्रडिंग में ए ग्रेड में एक मात्र जिला डिंडौरी को शामिल किया गया है। यह इस बात का संकेत है की इस आदिवासी जिले में मनरेगा के तहत खुब काम हुआ है। डिंडौरी जिले ने एक साल में 70 लाख मानव दिवस सृजित किए और 3 हजार 159 परिवारों को 100 दिन तक रोजगार दिया है।

    इंदौर सहित 12 जिलों में अच्छा काम
    मनरेगा के तहत इंदौर सहित 12 जिलों को बी ग्रेड में रखा गया है। इस श्रेणी में उन्हीं जिलों को रखा गया है, जहां मनरेगा के तहत अच्छा काम हुआ है। अशोकनगर, बालाघाट, बुरहानपुर, दमोह, ग्वालियर, हरदा, इंदौर, कटनी, मंडला, मुरैना, शाजापुर और विदिशा जिले में मनरेगा के तहत काम तो हुए पर बेहतर नहीं। इसलिए इन जिलों को बी ग्रेड में रखा गया है।

    भोपाल सहित 28 जिलों में संतोषजनक काम नहीं
    भोपाल, जबलपुर सहित 28 जिले ऐसे हैं जहां मनरेगा के तहत संतोषजनक काम नहीं हुआ है। इस श्रेणी में कई बड़े जिलें हैं, लेकिन वहां मनरेगा में अधिक काम नहीं हुए हैं। जबलपुर, आगर-मालवा, अलीराजपुर, बड़वानी, बैतूल, भिंड, भोपाल, छिंदवाड़ा, दतिया, धार, गुना, झाबुआ, खंडवा, मंदसौर, नरसिंहपुर, नीमच, पन्ना, राजगढ़, रतलाम, सतना, सिवनी, श्योपुर, शिवपुरी, सीधी, सिंगरौली, टीकमगढ़, उज्जैन और उमारिया जिले में मजदूरों को काम और मजदूरी सही समय पर नहीं मिली है इसलिए सभी जिले सी ग्रेड में है।

    रीवा, सागर सहित 9 जिले फिसड्डी
    प्रदेश के रीवा, सागर सहित 9 जिले ऐसे हैं जहां मनरेगा के तहत सबसे कम काम हुए हैं। छतरपुर, देवास, होशंगाबाद, खरगौन, रायसेन, रीवा, सागर, सीहोर, शहडोल जिले के अधिकारी मनरेगा को लेकर लापरवाह साबित हुए हैं। इन जिलों में मनरेगा के तहत काम ही नहीं हुए इसलिए डी ग्रेड दिया गया है। इन जिलों के अधिकारियों को 3 माह में ग्रेडिंग सुधारने के आदेश दिए गए हैं।

    एमआईएस पर आधारित है ग्रेडिंग
    मानीटरिंग की यह व्यवस्था मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम (एमआइएस) पर आधारित है। जिसमें प्रत्येक माह की अंतिम तिथि को पूर्व माह तक की प्रगति मानते हुए गणना की जाती है। अर्थात 31 अगस्त की एमआइएस स्थिति के आधार पर जुलाई माह की रैंकिंग की जाती है। अर्जित लक्ष्यों के हिसाब से अलग-अलग अंक निर्धारित होते हैं। कुल प्राप्तांक 100 के आधार पर जिला पंचायत समिति की ग्रेडिंग रैंकिंग की जाएगी।

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