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550 टन गीले कचरे से रोजाना बनेगी 17500 किलो गैस

August 27, 2020

  • जर्मनी के बाद दुनिया का सबसे बड़ा बायो गैस बनाने का प्लांट लगेगा
  • इन्दौर में… शिवराज करेंगे शिलान्यास

इंदौर। दुनिया में जर्मनी में ही 700 टन कचरे से बॉयोमैथेनाइजेशन गैस बनाने का प्लांट लगा है। अब इंदौर में देवगुराडिय़ा स्थित ट्रेंचिंग ग्राउंड पर 150 करोड़ रुपए की लागत से 550 टन क्षमता वाला प्लांट लगने जा रहा है, जो कि इतने गीले कचरे से रोजाना 17500 किलो सीएनजी का उत्पादन करेगा। निगम ने दिल्ली की निजी कम्पनी आईईआईएसएल को 20 सालों के लिए इसका ठेका दिया है, जो कि प्लांट लगाने का पूरा खर्चा खुद वहन करेगी। कल मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान इस प्लांट का शिलान्यास करेंगे।

नगर निगम चार बार स्वच्छता में नम्बर वन आया, उसका सबसे बड़ा कारण यह है कि वह घर-घर से गीला और सूखा कचरा अलग-अलग एकत्रित करता है और छोटे-छोटे खाद, गैस, पेवर ब्लॉक सहित अन्य उत्पादन किए जाते हैं। चोइथराम मंडी में भी एक छोटा प्लांट लगा रखा है, जिससे निगम को रोजाना 1400 किलो सीएनजी मिलती है। इसका इस्तेमाल पहले सिटी बसों में और अभी इनके बंद रहने से ऑटो रिक्शा में हो रहा है। अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बॉयोगैस प्लांट भी निगम इंदौर में लगाने जा रहा है। निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने एक जानकारी में बताया कि पिछले दिनों दिल्ली की फर्म आईईआईएसएल (इन्वायरमेंटल इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड सर्विस लिमिटेड) को ठेका सौंपा है। जाइंट वेंचर के रूप में इसके साथ विदेशी कंपनी प्रो-वेब्स इन्वायरोटैक जर्मनी भी सहयोग कर रही है। 150 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले इस प्लांट का पूरा खर्चा यह निजी कंपनी ही वहन करेगी। निगम को सिर्फ जमीन के साथ रोजाना 550 टन गीला कचरा देना है। दो चरणों में इस प्लांट की स्थापना होगी। बॉयोमैथेनाइजेशन प्लांट के पहले चरण में 200 टन क्षमता के साथ अप्रैल 2021 से सीएनजी का उत्पादन शुरू हो जाएगा। दूसरे चरण में पूरी क्षमता 550 टन के साथ दिसम्बर 2021 तक लगभग 17500 किलो सीएनजी बनने लगेगी। इससे शहर के अंदर पैदा होने वाले पूरे गीले कचरे का पर्यावरण हितैषी तरीके से निपटान तो होगा ही, वहीं बदले में निगम को सालाना कमाई भी होगी। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी वेस्ट टू वेल्थ का नारा दिया था। इस अवधारणा पर भी नगर निगम ने यह प्रोजेक्ट अपने हाथ में लिया है। इससे वायु प्रदूषण भी सुधरेगा, क्योंकि बनने वाली सीएनजी का उपयोग इंदौर में ही चलने वाले वाहनों में किया जाएगा। मुख्यमंत्री के कल के आयोजन के मद्देनजर कल निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने इस संबंध में देवगुराडिय़ा का निरीक्षण भी किया। इनके साथ अपर आयुक्त संदीप सोनी, रजनीश कसेरा, अधीक्षण यंत्री महेश शर्मा, उपायुक्त प्रतापसिंह सोलंकी और अन्य मौजूद रहे। बारिश के मद्देनजर यहां पर एक बड़ा डोम भी बनाया गया है, जहां मुख्यमंत्री का कार्यक्रम होगा। इसके साथ ही मुख्यमंत्री को अभी तक इंदौर नगर निगम द्वारा कचरा निपटान के मामले में जितने भी नवाचार किए गए हैं उनकी जानकारी भी दी जाएगी, जिसके चलते निगम ने तैयारी भी शुरू कर दी है। ट्रेंचिंग ग्राउंड में साफ-सफाई के अलावा प्लांट तक पहुंच मार्ग का समतलीकरण व अन्य आवश्यक कार्य भी किए जा रहे हैं। इसके अलावा नगर निगम ने एयरपोर्ट से लेकर ढक्कनवाला कुआं और वहां से देवगुराडिय़ा और फिर अभय प्रशाल सहित अन्य सडक़ों का पैचवर्क करने के अलावा बंद लाइटों को चालू करने और सफाई के काम भी शुरू करवाए हैं। हालांकि मुख्यमंत्री का मिनट-टू-मिनट कार्यक्रम प्रशासन को भोपाल से प्राप्त नहीं हुआ है। पहले मुख्यमंत्री आज आने वाले थे, फिर उनका दौरा एक दिन आगे बढ़ गया। इस प्लांट की आधारशिला रखने के अलावा मुख्यमंत्री सांवेर के विकास कार्यों का भी भूमिपूजन, शिलान्यास करेंगे और सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल का शुभारंभ भी किया जाना है। इसमें 500 से अधिक बिस्तरों की क्षमता है और अभी कोरोना मरीजों की लगातार बढ़ रही संख्या के मद्देनजर इस हॉस्पिटल को भी फटाफट तैयार कर शुरू किया जा रहा है, क्योंकि अनुबंधित और सरकारी अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या लगातार घट रही है।
20 साल तक मिलेगी ढाई करोड़ की रॉयल्टी
हींग लगे न फीटकरी और रंग चोखा… की कहावत निगम ने इस बॉयोमैथेनाइजेशन प्लांट की स्थापना के निर्णय से साबित की है। इससे निगम को एक रुपया भी खर्च नहीं करना पड़ेगा और बदले में 20 सालों तक उसे ढाई करोड़ और इससे अधिक की रॉयल्टी भी मिलेगी। दो दिन पहले ही निगम ने नई दिल्ली की कंपनी के साथ एमओयू साइन किया है, जो कि इस प्लांट की स्थापना में 150 करोड़ रुपए खर्च कर रही है। नगर निगम को कंपनी हर साल ढाई करोड़ रुपए प्रीमियम के रूप में देगी, जो कि 20 साल तक मिलेगा और बाद में हर साल 5 प्रतिशत की राशि की इसमें बढ़ोतरी होगी। नगर निगम घर-घर से गीला और सूखा कचरा अलग-अलग एकत्रित करता है, जिसमें से वह सूखे कचरे का भी उपयोग बॉयो प्रोडक्ट के रूप में करता है।
15 एकड़ जमीन के साथ देना है सिर्फ कचरा
नगर निगम को सिर्फ देवगुराडिय़ा के ट्रेंचिंग ग्राउंड पर इस प्लांट की स्थापना के लिए निजी कंपनी को 15 एकड़ जमीन उपलब्ध करवाना है। इसका मालिकाना हक निगम का ही रहेगा। कंपनी सिर्फ इस पर प्लांट की स्थापना करेगी और नगर निगम ने अपने कंपोस्ट प्लांट के पास ही यह जमीन दी है। निगम के ऐसे मामलों के सलाहकार और जानकार असद वारसी का कहना है कि कंपोस्ट प्लांट में ही गीला और सूखा कचरा अलग होता है और वहीं से इस प्लांट को भी गीला कचरा चला जाएगा। निगम को सिर्फ जमीन और गीला कचरा ही देना है और बदले में उसे सालाना रॉयल्टी के अलावा सस्ती गैस भी हासिल होगी। दिल्ली की यह कंपनी जर्मनी की विदेशी कंपनी के साथ जाइंट वेंचर के रूप में काम कर रही है, जिसका दुनिया का पहला इस तरह का प्लांट जर्मनी में ही लगा है।
5 रुपए प्रति किलो सस्ती मिलेगी निगम को गैस भी
एक तरफ नगर निगम 150 करोड़ का प्लांट मुफ्त में ही लगवा रहा है, दूसरी तरफ उसे ढाई करोड़ रुपए सालाना प्रीमियम तो मिलेगा ही, वहीं जो गैस बनेगी उसमें से आधी, यानी 50 प्रतिशत गैस बाजार दर की तुलना में 5 रुपए प्रतिकिलो सस्ती भी मिलेगी। दिसम्बर 2021 तक यह प्लांट पूरा तैयार हो जाएगा और रोजाना 17500 किलो सीएनजी का उत्पादन यहां होगा। इसमें से 50 प्रतिशत, यानी 8750 किलो गैस निगम को 5 रुपए सस्ती मिलेगी, जिसका इस्तेमाल वह एआईसीटीएसएल के माध्यम से चलने वाली सिटी बसों में कर सकेगा। इतना ही नहीं, निगम को अभी गीले कचरे के निपटान पर 4 करोड़ रुपए से अधिक की जो राशि खर्च करना पड़ती है उसकी भी बचत होगी और इससे पर्यावरण भी सुधरेगा, क्योंकि ज्यादातर बसें-ऑटो सीएनसी से दौड़ेंगे।

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