इन्दौर।कल सिंधिया और मुख्यमंत्री के खिलाफ ज्ञापन देने पहुंचे कांग्रेसियों में दो फाड़ दिखाई दी। कांग्रेस के शहर अध्यक्ष विनय बाकलीवाल और दोनों कांग्रेसी विधायक कार्यक्रम में नहीं पहुंचे। डीआईजी ऑफिस पर पहुंचे कांग्रेसियों में कुछ पुराने कांग्रेसी भी थे जो चिंटू चौकसे के साथ खड़े नजर आए।
ग्वालियर में हुए भाजपा के सदस्यता अभियान में उड़ाई गई सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां और इन्दौर में 27 को होने वाले कार्यक्रम में कोरेाना गाइड लाइन के पालन कराने को लेकर कल पूर्व पार्षद चिंटू चौकसे ने शाम को डीआईजी ऑफिस पर ज्ञापन देने की घोषणा की थी। इसके पूर्व सिंधिया को काले झंडे दिखाने में भी कांग्रेसी अलग-थलग नजर आए थे और उसमें चिंटू चौकसे तथा उनके कुछ साथियों को गिरफ्तार कर लिया गया था। कल शाम को भी वे ज्ञापन देने पहुंचे। समय साढ़े 4 बजे का दिया गया था, लेकिन सवा पंाच बजे तक बड़े नेताओं का इंतजार होता रहा। कोई नेता नहीं आया तो चिंटू चौकसे ने जितने कांग्रेसी इकट्ठा हुए थे, उनके साथ ही ज्ञापन देने का तय किया। कांग्रेसियों में शेख अलीम, शैलेश गर्ग, विनोद चौकसे, प्रेम खड़ायता, पी.डी. जाटवा, मुकेश यादव आदि नेता पहुंचे थे। कुल मिलाकर 50 भी इकट््ठा नहीं हो पाए। वहीं डीआईजी हरिनारायण चारी मिश्रा भी नहीं मिले तो हेडक्वार्टर एसपी सूरज वर्मा को कांग्रेसियों ने ज्ञापन दिया। ज्ञापन में सिंधिया और मुख्यमंत्री सहित अन्य नेताओं पर कोरोना गाइड लाइन का पालन नहीं करने की धाराओं में केस दर्ज करने की मांग की गई थी। कांग्रेस के इस दूसरे आयोजन से कांग्रेस में दो फाड़ नजर आ रही है। एक गुट शहर कांग्रेस अध्यक्ष विनय बाकलीवाल, विधायक संजय शुक्ला और विशाल पटेल के साथ चल रहा है तो दूसरा ग्रुप चिंटू चौकसे के साथ चल रहा है। हालांकि पहले चौकसे मंत्री जीतू पटवारी के दम पर शहर कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष पद पर दावा ठोंक चुकेहैं, लेकिन अब वे अध्यक्ष पद से ना कर रहे हैं। ऐसे समय में जब सांवेर में उपचुनाव हैं और ये उपचुनाव कांग्रेस के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं, लेकिन इन्दौर के कांग्रेसी एक होने का नाम नहीं ले रहे हैं। ऐसे में सांवेर सीट पर भी गुटबाजी का असर नजर आ सकता है।
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